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सार
बुंदेलखंड में छुट्टा जानवरों की देखभाल की व्यवस्था के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दो जजों की खंडपीठ ने दिए निर्देश। बुंदेलखंड किसान यूनियन की ओर से दाखिल की गई है याचिका।
छुट्टा जानवरों की देखभाल के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार से याची को ही पायलट प्रोजेक्ट बनाने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि आप इस मामले में पायलट प्रोजेक्ट बनाएं, उसे पूरे उत्तर प्रदेश में लागू कराया जाएगा। जिससे कि छुट्टा जानवरों से किसानों को राहत मिल सके और दुर्घटनाएं भी थम सकें।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पियूष अग्रवाल की खंडपीठ ने बुंदेलखंड किसान यूनियन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। मामले में सुनवाई के लिए 30 मार्च की तिथि निर्धारित की गई है।
कोर्ट ने छुट्टा जानवरों की समस्या को गंभीर बताया। कहा कि इसका हल बहुत आसान नहीं है। कोर्ट ने याची से कहा कि आप ऐसा कोई उपाय बताएं, जिससे सरकार भी अपनी सहयोग निभाए और जनसहभागिता भी रहे।
कोर्ट ने याची को पायलट प्रोजेक्ट बनाकर अगली तिथि पर प्रस्तुत करने को कहा है। इसके पहले याची बुंदेलखंड किसान यूनियन के अधिवक्ता जितेंद्र मिश्र की ओर से तर्क दिया गया कि सरकार छुट्टा जानवरों की देखभाल के लिए पूरी व्यवस्था किए जाने का दावा कर रही है लेकिन हकीकत कुछ अलग है।
पशु आश्रय स्थल केवल कागजों पर हैं। जहां कटीले तार लगाकर आश्रय बनाए गए हैं। वहां न तो पानी की व्यवस्था है और न ही चारे की। इसलिए वहां जानवर को रखा नहीं जाता। सरकार बजट का दावा कर रही है लेकिन जिला मजिस्ट्रेट की ओर से कहा जाता है कि बजट का कोई इंतजाम नहीं है।
छुट्टा जानवर खेतों में किसानों की फसलों को बर्बाद कर दे रहे हैं। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि बुलंदशहर से लेकर चित्रकूट तक 80 फीसदी खेतों की बुआई नहीं हो रही है। क्योंकि, छुट्टा जानवर खेत की खड़ी फसल चर ले रहे हैं।
कटीले तार लगाने पर किसानों पर हो रही कार्रवाई
अधिवक्ता ने कहा कि किसान अपनी फसलों को छुट्टा जानवरों से बचाने के लिए खेतों के चारों ओर कटीले तार लगा रहे हैं तो उसे पशु क्रूरता मानकर कार्रवाई की जा रही है। किसान परेशान हैं।
अधिवक्ता ने यह भी कहा कि छुट्टा जानवरों की वजह से हाईवे पर, सड़कों पर दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। इन सबके बावजूद भी उत्तर प्रदेश सरकार इस मसले पर गंभीर नहीं है। सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। इस पर सरकारी अधिवक्ता एके गायेल ने जवाब दिया कि बुंदेलखंड में छुट्टा जानवरों की देखभाल के लिए 21 स्थानों पर पशु आश्रय गृह बनाए हैं। उनके चारे के लिए बजट भी आवंटित किया गया है।
इस पर याची के अधिवक्ता की ओर से सवाल खड़े किए गए। कहा गया कि पशु आश्रय गृह कहां-कहां हैं, यह सरकार नहीं बता रही है। वह केवल संख्या बता रही है। कोर्ट ने भी सरकारी अधिवक्ता से आश्रय स्थलों का विवरण जानना चाहा। लेकिन हलफनामे पर आश्रय स्थलों का विवरण नहीं था। इसके बाद कोर्ट ने याची के अधिवक्ता से इस मामले के निदान के लिए राय मांगी।
याची की ओर से कहा गया कि पशु आश्रय स्थल बनाए जाएं और वहां देखभाल के लिए लोगों को लगाया जाए। इससे रोजगार भी पैदा होगा। इस पर कोर्ट ने याची के अधिवक्ता को पायलट प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट तैयार करने का निर्देश दिया। कहा कि आप प्रोजेक्ट तैयार कर हमारे समक्ष प्रस्तुत करें, उसके बाद उस पर आगे काम किया जाएगा।
विस्तार
छुट्टा जानवरों की देखभाल के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार से याची को ही पायलट प्रोजेक्ट बनाने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि आप इस मामले में पायलट प्रोजेक्ट बनाएं, उसे पूरे उत्तर प्रदेश में लागू कराया जाएगा। जिससे कि छुट्टा जानवरों से किसानों को राहत मिल सके और दुर्घटनाएं भी थम सकें।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पियूष अग्रवाल की खंडपीठ ने बुंदेलखंड किसान यूनियन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। मामले में सुनवाई के लिए 30 मार्च की तिथि निर्धारित की गई है।
कोर्ट ने छुट्टा जानवरों की समस्या को गंभीर बताया। कहा कि इसका हल बहुत आसान नहीं है। कोर्ट ने याची से कहा कि आप ऐसा कोई उपाय बताएं, जिससे सरकार भी अपनी सहयोग निभाए और जनसहभागिता भी रहे।
कोर्ट ने याची को पायलट प्रोजेक्ट बनाकर अगली तिथि पर प्रस्तुत करने को कहा है। इसके पहले याची बुंदेलखंड किसान यूनियन के अधिवक्ता जितेंद्र मिश्र की ओर से तर्क दिया गया कि सरकार छुट्टा जानवरों की देखभाल के लिए पूरी व्यवस्था किए जाने का दावा कर रही है लेकिन हकीकत कुछ अलग है।
पशु आश्रय स्थल केवल कागजों पर हैं। जहां कटीले तार लगाकर आश्रय बनाए गए हैं। वहां न तो पानी की व्यवस्था है और न ही चारे की। इसलिए वहां जानवर को रखा नहीं जाता। सरकार बजट का दावा कर रही है लेकिन जिला मजिस्ट्रेट की ओर से कहा जाता है कि बजट का कोई इंतजाम नहीं है।
छुट्टा जानवर खेतों में किसानों की फसलों को बर्बाद कर दे रहे हैं। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि बुलंदशहर से लेकर चित्रकूट तक 80 फीसदी खेतों की बुआई नहीं हो रही है। क्योंकि, छुट्टा जानवर खेत की खड़ी फसल चर ले रहे हैं।
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