वतन वापसी का इंतजार: यूक्रेन में फंसीं आगरा की श्रेया को दूतावास से मिला संदेश- बैग पैक कर तैयार रहें

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सार

यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वहां से निकालने के प्रयास शुरू हो गए हैं। जिससे छात्र-छात्राओं को घर वापसी की उम्मीद जगी है। आगरा जिले के भी कई छात्र यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए हैं। 

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यूक्रेन में युद्ध के बीच वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए केंद्र सरकार व भारतीय दूतावास ने रोमानिया और हंगरी का रास्ता चुना है। इस रास्ते से भारतीयों को निकालने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जिससे यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वतन वापसी की उम्मीद बंधी है। आगरा जिले के भी कई छात्र वहां फंसे हुए हैं। ये छात्र लगातार भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं। इधर, अपनों की चिंता परिजनों को सता रही है। खैरखबर के लिए बार-बार फोन कर रहे हैं। नजरें भी टीवी पर जमी हुई हैं।

शहर के शास्त्रीपुरम निवासी संतोष सिंह ने बताया कि मेरी बेटी श्रेया सिंह यूक्रेन में डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़ रही हैं। वह इवानो फ्रेंक्विक्स नेशनल मेडिकल यूनीवर्सिटी में एमबीबीएस चतुर्थ साल की छात्रा हैं। शुक्रवार की दोपहर बेटी से फोन पर बात हुई तो उसने बताया कि मम्मी, भारतीय दूतावास से उनको संदेश मिला है कि एक छोटे बैग में बेहद ही जरूरी सामान रखकर तैयार रहें। पोलेंड या फिर हंगरी के रास्ते से भारत लाया जाएगा। बेटी की चिंता खाई जा रही है, दिल्ली हेल्पलाइन नंबरों पर भी फोन कर जानकारी कर रही हूं।

टर्नोपिल शहर में फंसा है मानवेंद्र सोलंकी

मिढ़ाकुर के नगला गुजरा निवासी पुष्पेंद्र सोलंकी का पुत्र मानवेंद्र सोलंकी (23) भी यूक्रेन में फंसा हुआ है। परिजनों के अनुसार मानवेंद्र वहां एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। रूस और यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों के अनुसार मानवेंद्र ने शुक्रवार दोपहर फोन कर कहा कि उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है।

पुष्पेंद्र ने बताया है कि उनका बड़ा बेटा मानवेंद्र सोलंकी यूक्रेन के टर्नोपिल शहर में रह रहा है। मानवेंद्र टर्नोपिल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस का चौथी वर्ष का छात्र है। पुष्पेंद्र ने कहा है कि शुक्रवार दोपहर को मानवेंद्र का घर पर फोन आया था। मानवेंद्र ने परिजनों से कहा कि वह बंकर में रह रहा है। कहीं से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। इसके बाद से ही मानवेंद्र की मां ऋचा सोलंकी ने खाना पीना छोड़ दिया है। परिजनों ने भारत सरकार से जल्द से जल्द भारतीय छात्रों को सुरक्षित भारत लाने की गुहार लगाई है।

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कॉलेज के सामने बने बंकर में गुजारी रात 

शमसाबाद के गांव रंजीतपुरा निवासी रामप्रकाश का पुत्र अनंत सिकरवार यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। अनंत ने फोन कर अपने पिता को बताया था कि बृहस्पतिवार को धमाकों के बाद कॉलेज के सामने बने बंकर में रात गुजारी है। घबराहट हो रही है। खाना भी दो दिन का बचा है। बैंक एटीएम बंद हैं। पैसे भी नहीं निकाल पा रहे हैं। परिजनों ने प्रधानमंत्री से बच्चे को सकुशल वापस लाने की अपील की है।

विस्तार

यूक्रेन में युद्ध के बीच वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए केंद्र सरकार व भारतीय दूतावास ने रोमानिया और हंगरी का रास्ता चुना है। इस रास्ते से भारतीयों को निकालने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जिससे यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वतन वापसी की उम्मीद बंधी है। आगरा जिले के भी कई छात्र वहां फंसे हुए हैं। ये छात्र लगातार भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं। इधर, अपनों की चिंता परिजनों को सता रही है। खैरखबर के लिए बार-बार फोन कर रहे हैं। नजरें भी टीवी पर जमी हुई हैं।

शहर के शास्त्रीपुरम निवासी संतोष सिंह ने बताया कि मेरी बेटी श्रेया सिंह यूक्रेन में डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़ रही हैं। वह इवानो फ्रेंक्विक्स नेशनल मेडिकल यूनीवर्सिटी में एमबीबीएस चतुर्थ साल की छात्रा हैं। शुक्रवार की दोपहर बेटी से फोन पर बात हुई तो उसने बताया कि मम्मी, भारतीय दूतावास से उनको संदेश मिला है कि एक छोटे बैग में बेहद ही जरूरी सामान रखकर तैयार रहें। पोलेंड या फिर हंगरी के रास्ते से भारत लाया जाएगा। बेटी की चिंता खाई जा रही है, दिल्ली हेल्पलाइन नंबरों पर भी फोन कर जानकारी कर रही हूं।

टर्नोपिल शहर में फंसा है मानवेंद्र सोलंकी

मिढ़ाकुर के नगला गुजरा निवासी पुष्पेंद्र सोलंकी का पुत्र मानवेंद्र सोलंकी (23) भी यूक्रेन में फंसा हुआ है। परिजनों के अनुसार मानवेंद्र वहां एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। रूस और यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों के अनुसार मानवेंद्र ने शुक्रवार दोपहर फोन कर कहा कि उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है।

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