वाशिंग पाउडर से प्रियंका ने चमकाई अपनी ‘किस्मत’

0
16

[ad_1]

ख़बर सुनें

उन्नाव। सुमेरपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत गौरैया निवासी प्रियंका ने तिरंगा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से स्वावलंबन की नींव रखी है। उन्होंने समूह के माध्यम से वाशिंग पाउडर बनाकर गांव की अन्य महिलाओं को भी इस व्यवसाय से जोड़ा है। इसके जरिये सभी की हर माह पांच से सात हजार रुपये कमाई हो रही है।
बीए पास प्रियंका के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसको देखते हुए वह 2020 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) कार्यालय गईं और समूह गठन की जानकारी ली। शुरुआत में प्रियंका ने गांव-गांव जाकर समूह गठित करने का काम किया। फिर रजिस्टर लिखने का काम मिला। समूह गठन में जहां 75 रुपये मिलते थे, वहीं रजिस्टर लिखने में 20 रुपये। इसके बाद तिरंगा नाम से समूह गठित किया। एनआरएलएम के ब्लॉक मिशन मैनेजर की मदद से वाशिंग पाउडर बनाने की ट्रेनिंग ली।
गांव की पांच और महिलाओं को साथ जोड़ा। उत्पाद की अच्छी गुणवत्ता के कारण इसकी मांग बढ़ने लगी। प्रियंका ने बताया कि आसपास के लोग काफी मात्रा में शक्ति वाशिंग पाउडर खरीद रहे हैं। दुकानदार भी उनका उत्पाद खरीदते हैं। फुटकर में 50 रुपये और थोक में 45 रुपये प्रति किलो की दर से इसकी बिक्री करतीं हैं।
बाजार में बिकने वाले अन्य पाउडर की अपेक्षा दाम काफी कम होने से हाथों हाथ बिक जाता है। इसका उपयोग कपड़े व बर्तन धोने में करते हैं। प्रियंका ने बताया कि गांव की अन्य महिलाओं का भी रुझान बढ़ा है और वह भी समूह से जुड़ रहीं हैं। वह फिनायल और हैंडवाश बनाने पर भी विचार कर रही हैं। गांव की हर महिला स्वरोजगार से जुड़े, यही उनका सपना है।
कानपुर व रायबरेली से लाती हैं कच्चा माल
महिलाएं वाशिंग पाउडर बनाने के लिए कच्चा माल एसिड, रंग बिरंगे दाने व नमक की खरीद कानपुर व रायबरेली ऊंचाहार की मंडी जाकर करती हैं। डिटर्जेंट पाउडर बनाने में लागत 40 रुपये प्रति किलो के आसपास आती है। समूह हर माह करीब 15 क्विंटल वाशिंग पाउडर तैयार करके बेच रहा है।

यह भी पढ़ें -  Unnao News: तलवार से केक काटने का वीडियो वायरल

उन्नाव। सुमेरपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत गौरैया निवासी प्रियंका ने तिरंगा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से स्वावलंबन की नींव रखी है। उन्होंने समूह के माध्यम से वाशिंग पाउडर बनाकर गांव की अन्य महिलाओं को भी इस व्यवसाय से जोड़ा है। इसके जरिये सभी की हर माह पांच से सात हजार रुपये कमाई हो रही है।

बीए पास प्रियंका के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसको देखते हुए वह 2020 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) कार्यालय गईं और समूह गठन की जानकारी ली। शुरुआत में प्रियंका ने गांव-गांव जाकर समूह गठित करने का काम किया। फिर रजिस्टर लिखने का काम मिला। समूह गठन में जहां 75 रुपये मिलते थे, वहीं रजिस्टर लिखने में 20 रुपये। इसके बाद तिरंगा नाम से समूह गठित किया। एनआरएलएम के ब्लॉक मिशन मैनेजर की मदद से वाशिंग पाउडर बनाने की ट्रेनिंग ली।

गांव की पांच और महिलाओं को साथ जोड़ा। उत्पाद की अच्छी गुणवत्ता के कारण इसकी मांग बढ़ने लगी। प्रियंका ने बताया कि आसपास के लोग काफी मात्रा में शक्ति वाशिंग पाउडर खरीद रहे हैं। दुकानदार भी उनका उत्पाद खरीदते हैं। फुटकर में 50 रुपये और थोक में 45 रुपये प्रति किलो की दर से इसकी बिक्री करतीं हैं।

बाजार में बिकने वाले अन्य पाउडर की अपेक्षा दाम काफी कम होने से हाथों हाथ बिक जाता है। इसका उपयोग कपड़े व बर्तन धोने में करते हैं। प्रियंका ने बताया कि गांव की अन्य महिलाओं का भी रुझान बढ़ा है और वह भी समूह से जुड़ रहीं हैं। वह फिनायल और हैंडवाश बनाने पर भी विचार कर रही हैं। गांव की हर महिला स्वरोजगार से जुड़े, यही उनका सपना है।

कानपुर व रायबरेली से लाती हैं कच्चा माल

महिलाएं वाशिंग पाउडर बनाने के लिए कच्चा माल एसिड, रंग बिरंगे दाने व नमक की खरीद कानपुर व रायबरेली ऊंचाहार की मंडी जाकर करती हैं। डिटर्जेंट पाउडर बनाने में लागत 40 रुपये प्रति किलो के आसपास आती है। समूह हर माह करीब 15 क्विंटल वाशिंग पाउडर तैयार करके बेच रहा है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here