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बांगरमऊ। पिछले साल तत्कालीन सीडीओ ने कल्याणी नदी के कल्याण की कवायद की थी। जोर-शोर से सफाई अभियान भी शुरू हुआ था, लेकिन उसी दौरान सीडीओ का ट्रांसफर हो गया। इससे अभियान ठप हो गया। इसके बाद अभियान शुरू नहीं हो सका। उनके जाने के बाद कल्याणी के कल्याण की उम्मीद भी धूमिल हो गई।
हरदोई से निकलकर सिकंदरपुर सरोसी के ग्राम मरौंदा के निकट गंगा नदी में गिरने वाली अति प्राचीन कल्याणी नदी सफाई न होने के कारण धीरे-धीरे अस्तित्व खोती जा रही है। करीब 100 साल पहले यह नदी किसानों के लिए वरदान थी। नदी ही आसपास के खेतों की सिंचाई का मुख्य स्रोत थी। किसानों का कल्याण करने के कारण ही इसका नाम कल्याणी पड़ा था।
पिछले साल मई में तत्कालीन सीडीओ सरनजीत ब्रोका ने ‘कैच द रेन’ अभियान के तहत कल्याणी नदी की साफ सफाई की कवायद की थी। ग्राम लतीफपुर तथा अहिरनपुरवा से सफाई अभियान जोर-शोर से शुरू भी कराया गया था, लेकिन उसी दौरान सीडीओ का ट्रांसफर हो गया और फिर सफाई का काम ठंडे बस्ते में चला गया था।
तबसे अभियान शुरू नहीं हो सका और कल्याणी नदी में फिर से झाड़ियां उग आईं। अब मामूली सी बरसात में कल्याणी नदी में बाढ़ आ जाती है। इससे नदी किनारे खड़ी फसलें डूबकर बर्बाद हो जाती हैं। गर्मी में तो कुछ स्थानों को छोड़कर पूरी नदी ही सूख जाती है। इस कारण नदी से होने वाली सिंचाई भी बंद हो चुकी है।
लोहारी गांव से जिले की सीमा में प्रवेश करती है कल्याणी
बांगरमऊ तहसील क्षेत्र में आने वाले ब्लॉक गंजमुरादाबाद क्षेत्र के ग्राम लोहारी में यह नदी जिले की सीमा में प्रवेश करती है। इसके बाद बांगरमऊ और फतेहपुर चौरासी ब्लॉकों के लतीफपुर, अहिरनपुरवा, कैथापुरवा, पंचूपुरवा, गोलुहापुर, नददीपुरवा, भिखारीपुर कस्बा, दौलतपुर, गोरीमऊ, नगहरी व दशहरी आदि ग्रामों से गुजरती हुई सिकंदरपुर सरोसी के ग्राम मरौंदा के निकट गंगा नदी में विलीन हो जाती है।
वर्जन…
समाचार पत्र के माध्यम से कल्याणी नदी की दुर्दशा की जानकारी हुई है। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही मौके पर जाएंगे और नदी के जीर्णोद्धार कराने की संभावनाएं तलाशेंगे। इसके बाद कार्ययोजना तय की जाएगी।-दिव्यांशु पटेल, सीडीओ।
बांगरमऊ। पिछले साल तत्कालीन सीडीओ ने कल्याणी नदी के कल्याण की कवायद की थी। जोर-शोर से सफाई अभियान भी शुरू हुआ था, लेकिन उसी दौरान सीडीओ का ट्रांसफर हो गया। इससे अभियान ठप हो गया। इसके बाद अभियान शुरू नहीं हो सका। उनके जाने के बाद कल्याणी के कल्याण की उम्मीद भी धूमिल हो गई।
हरदोई से निकलकर सिकंदरपुर सरोसी के ग्राम मरौंदा के निकट गंगा नदी में गिरने वाली अति प्राचीन कल्याणी नदी सफाई न होने के कारण धीरे-धीरे अस्तित्व खोती जा रही है। करीब 100 साल पहले यह नदी किसानों के लिए वरदान थी। नदी ही आसपास के खेतों की सिंचाई का मुख्य स्रोत थी। किसानों का कल्याण करने के कारण ही इसका नाम कल्याणी पड़ा था।
पिछले साल मई में तत्कालीन सीडीओ सरनजीत ब्रोका ने ‘कैच द रेन’ अभियान के तहत कल्याणी नदी की साफ सफाई की कवायद की थी। ग्राम लतीफपुर तथा अहिरनपुरवा से सफाई अभियान जोर-शोर से शुरू भी कराया गया था, लेकिन उसी दौरान सीडीओ का ट्रांसफर हो गया और फिर सफाई का काम ठंडे बस्ते में चला गया था।
तबसे अभियान शुरू नहीं हो सका और कल्याणी नदी में फिर से झाड़ियां उग आईं। अब मामूली सी बरसात में कल्याणी नदी में बाढ़ आ जाती है। इससे नदी किनारे खड़ी फसलें डूबकर बर्बाद हो जाती हैं। गर्मी में तो कुछ स्थानों को छोड़कर पूरी नदी ही सूख जाती है। इस कारण नदी से होने वाली सिंचाई भी बंद हो चुकी है।
लोहारी गांव से जिले की सीमा में प्रवेश करती है कल्याणी
बांगरमऊ तहसील क्षेत्र में आने वाले ब्लॉक गंजमुरादाबाद क्षेत्र के ग्राम लोहारी में यह नदी जिले की सीमा में प्रवेश करती है। इसके बाद बांगरमऊ और फतेहपुर चौरासी ब्लॉकों के लतीफपुर, अहिरनपुरवा, कैथापुरवा, पंचूपुरवा, गोलुहापुर, नददीपुरवा, भिखारीपुर कस्बा, दौलतपुर, गोरीमऊ, नगहरी व दशहरी आदि ग्रामों से गुजरती हुई सिकंदरपुर सरोसी के ग्राम मरौंदा के निकट गंगा नदी में विलीन हो जाती है।
वर्जन…
समाचार पत्र के माध्यम से कल्याणी नदी की दुर्दशा की जानकारी हुई है। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही मौके पर जाएंगे और नदी के जीर्णोद्धार कराने की संभावनाएं तलाशेंगे। इसके बाद कार्ययोजना तय की जाएगी।-दिव्यांशु पटेल, सीडीओ।
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