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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 02 Apr 2022 01:03 AM IST
सार
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने हमीरपुर के शैलेंद्र कुमार प्रजापति की याचिका को खारिज करते हुए की। इसके साथ ही कोर्ट ने याची के जिला न्यायालय हमीरपुर में चल रहे केस को दूसरे न्यायालय में स्थानांतरण करने से इनकार कर दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय की निष्पक्षता संविधान की मूलभूत विशिष्टता है, जो यह अपेक्षा करती है कि न्यायाधीश, शासकीय अभियोजक, आरोपी का अधिवक्ता या न्यायालय मित्र सामाजिक हितों में तालमेल रखते हुए तथा आरोपी की हैसियत व शासन के प्रभाव से परे रहकर कार्य करेंगे।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने हमीरपुर के शैलेंद्र कुमार प्रजापति की याचिका को खारिज करते हुए की। इसके साथ ही कोर्ट ने याची के जिला न्यायालय हमीरपुर में चल रहे केस को दूसरे न्यायालय में स्थानांतरण करने से इनकार कर दिया। याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर हमीरपुर के सत्र न्यायालय, एफटीसीमें चल रहे अपने मामले को उसी जिले केसत्र न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की थी।
याची की ओर से तर्क दिया गया कि उसका केस जिस न्यायालय में चल रहा है, उसी न्यायालय मेें पीड़िता के अधिवक्ता का मित्र है और वह अपने पद का अनुचित उपयोग कर न्यायिक प्रक्रिया में पीड़िता के अनुकूल व आवेदक के प्रतिकूल आदेश न्यायालय से पारित करवाने में सहायता करता है। उसके इसी प्रभाव के कारण न्यायालय ने अभियोजन साक्ष्य की प्रतिपरीक्षा का अवसर समाप्त कर दिया था।
कोर्ट ने याची की आशंका को सिरे से नकार दिया, क्योंकि याची को प्रतिपरीक्षा का आवेदन अपर सत्र न्यायालय द्वारा 10 फरवरी 2021 को स्वीकार किया जा चुका है। इसके अलावा अभियोजन साक्ष्य को तलब किया जा चुका है। हालांकि कोर्ट ने जिला न्यायालय हमीरपुर में चल रहे मामले को शीघ्रता से निस्तारित करने का निर्देश दिया।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय की निष्पक्षता संविधान की मूलभूत विशिष्टता है, जो यह अपेक्षा करती है कि न्यायाधीश, शासकीय अभियोजक, आरोपी का अधिवक्ता या न्यायालय मित्र सामाजिक हितों में तालमेल रखते हुए तथा आरोपी की हैसियत व शासन के प्रभाव से परे रहकर कार्य करेंगे।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने हमीरपुर के शैलेंद्र कुमार प्रजापति की याचिका को खारिज करते हुए की। इसके साथ ही कोर्ट ने याची के जिला न्यायालय हमीरपुर में चल रहे केस को दूसरे न्यायालय में स्थानांतरण करने से इनकार कर दिया। याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर हमीरपुर के सत्र न्यायालय, एफटीसीमें चल रहे अपने मामले को उसी जिले केसत्र न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की थी।
याची की ओर से तर्क दिया गया कि उसका केस जिस न्यायालय में चल रहा है, उसी न्यायालय मेें पीड़िता के अधिवक्ता का मित्र है और वह अपने पद का अनुचित उपयोग कर न्यायिक प्रक्रिया में पीड़िता के अनुकूल व आवेदक के प्रतिकूल आदेश न्यायालय से पारित करवाने में सहायता करता है। उसके इसी प्रभाव के कारण न्यायालय ने अभियोजन साक्ष्य की प्रतिपरीक्षा का अवसर समाप्त कर दिया था।
कोर्ट ने याची की आशंका को सिरे से नकार दिया, क्योंकि याची को प्रतिपरीक्षा का आवेदन अपर सत्र न्यायालय द्वारा 10 फरवरी 2021 को स्वीकार किया जा चुका है। इसके अलावा अभियोजन साक्ष्य को तलब किया जा चुका है। हालांकि कोर्ट ने जिला न्यायालय हमीरपुर में चल रहे मामले को शीघ्रता से निस्तारित करने का निर्देश दिया।
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