हाईकोर्ट : जमानती अपराधों के मामलों में नहीं दी जा सकती है अग्रिम जमानत

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 10 Mar 2022 01:59 AM IST

सार

कोर्ट ने कहा कि याची पर गैर-जमानती अपराध करने का आरोप होना चाहिए,  जो पहले से मौजूद तथ्यों से उपजा हुआ हो। याचिकाकर्ता के मन में उचित आशंका या विश्वास होना चाहिए कि उसे इस तरह के आरोप के आधार पर गिरफ्तार किया जाएगा।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जमानती अपराधों के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने मेसर्स वीकेट्रेडर्स की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि अपराध जमानती है, इसलिए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है।

कोर्ट ने कहा कि याची पर गैर-जमानती अपराध करने का आरोप होना चाहिए,  जो पहले से मौजूद तथ्यों से उपजा हुआ हो। याचिकाकर्ता के मन में उचित आशंका या विश्वास होना चाहिए कि उसे इस तरह के आरोप के आधार पर गिरफ्तार किया जाएगा।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ओंकार नाथ अग्रवाल बनाम राज्य-1976 के आदेश का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत आवेदन केवल उस व्यक्ति द्वारा बनाए रखा जा सकता है, जिसे गैर जमानती अपराध करने के आरोप में गिरफ्तारी की आशंका है।

कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया। मामला सीजीएसटी मेरठ जोन का है। याची की ओर से कहा गया कि वर्तमान मामले में विवाद एक करोड़, 80 लाख, 86 हजार, 343 रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट के अस्वीकार्य की गई राशि से संबंधित है।

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जमानती अपराधों के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने मेसर्स वीकेट्रेडर्स की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि अपराध जमानती है, इसलिए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है।

कोर्ट ने कहा कि याची पर गैर-जमानती अपराध करने का आरोप होना चाहिए,  जो पहले से मौजूद तथ्यों से उपजा हुआ हो। याचिकाकर्ता के मन में उचित आशंका या विश्वास होना चाहिए कि उसे इस तरह के आरोप के आधार पर गिरफ्तार किया जाएगा।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ओंकार नाथ अग्रवाल बनाम राज्य-1976 के आदेश का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत आवेदन केवल उस व्यक्ति द्वारा बनाए रखा जा सकता है, जिसे गैर जमानती अपराध करने के आरोप में गिरफ्तारी की आशंका है।

कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया। मामला सीजीएसटी मेरठ जोन का है। याची की ओर से कहा गया कि वर्तमान मामले में विवाद एक करोड़, 80 लाख, 86 हजार, 343 रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट के अस्वीकार्य की गई राशि से संबंधित है।

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