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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बालिकाओं के मामलों का प्रतिनिधित्व करने के लिए कानूनी सेवा समिति में महिला अधिवक्ताओं की नियुक्ति की सलाह दी है। कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई के दौरान यह देखा गया कि समिति की ओर से पेश होने वाले अधिवक्ताओं में महिला अधिवक्ता की संख्या कम है। वह पीड़ितों का प्रतिनिधित्व बहुत ही कम कर रहीं हैं। जबकि, बहुत से ऐसे केस हैं, जिसमें उनकी उपस्थिति जरूरी होती है।
कोर्ट ने नाबालिग पीड़िताओं के मामलों का जिक्र किया। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट ने जौनपुर के आशीष यादव की जमानत अर्जी खारिज करते हुए दी है। याची पॉक्सो और एससी/एसटी एक्ट का आरोपी है। उसने अपनी जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बहुत कम महिला अधिवक्ता हाईकोर्ट की कानूनी सेवा समिति की ओर से पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। मामले में याची के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत जौनपुर के गौरा बादशाहपुर में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। याची जेल में हैं।
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