हाईकोर्ट : रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की जमानत अर्जी खारिज 

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 29 Jan 2022 02:21 AM IST

सार

इस मामले में याची सहित 68 अन्य पर बैंकों से लेटर ऑफ क्रेडिट जारी कराकर फर्जी कंपनियों में पैसा लगाकर 4,041 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है। गंभीर धोखाधड़ी की जांच की जा रही है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार हजार करोड़ रुपये से अधिक के गबन के आरोपी रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड  के निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है।

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आरोपी के डेढ़ साल से अधिक समय तक हिरासत में होने से जमानत का आधार नहीं बन जाता है। कोर्ट ने मामले में निचली अदालत को केस का ट्रायल भी छह महीने में पूरा करने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने संजय यू देसाई की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है। 

इस मामले में याची सहित 68 अन्य पर बैंकों से लेटर ऑफ क्रेडिट जारी कराकर फर्जी कंपनियों में पैसा लगाकर 4,041 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है। गंभीर धोखाधड़ी की जांच की जा रही है।

याची पहले भी अंतरिम जमानत की मांग कर चुका है, लेकिन कोर्ट ने उसकी मांग खारिज कर दी थी। फिर याची ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत नहीं दी। याची ने हाईकोर्ट में फिर अपनी स्थायी जमानत के लिए अर्जी दाखिल की है। लेकिन, कोर्ट ने पाया कि याची गंभीर आर्थिक अपराध में शामिल है।

कोर्ट ने कहा कि याची की ओर से किया गया कृत्य न केवल समाज की अंतरात्मा को झकझोरने वाला  है, बल्कि सार्वजनिक रूप से चोट पहुंचाने वाला है। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वह डेढ़ साल से अधिक समय से जेल में है और बीमारियों से परेशान हैं, लेकिन केंद्र सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने इसका विरोध किया। कोर्ट ने इसे जमानत का आधार नहीं माना और जमानत अर्जी को खारिज कर दी।

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार हजार करोड़ रुपये से अधिक के गबन के आरोपी रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड  के निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है।

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आरोपी के डेढ़ साल से अधिक समय तक हिरासत में होने से जमानत का आधार नहीं बन जाता है। कोर्ट ने मामले में निचली अदालत को केस का ट्रायल भी छह महीने में पूरा करने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने संजय यू देसाई की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है। 

इस मामले में याची सहित 68 अन्य पर बैंकों से लेटर ऑफ क्रेडिट जारी कराकर फर्जी कंपनियों में पैसा लगाकर 4,041 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है। गंभीर धोखाधड़ी की जांच की जा रही है।

याची पहले भी अंतरिम जमानत की मांग कर चुका है, लेकिन कोर्ट ने उसकी मांग खारिज कर दी थी। फिर याची ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत नहीं दी। याची ने हाईकोर्ट में फिर अपनी स्थायी जमानत के लिए अर्जी दाखिल की है। लेकिन, कोर्ट ने पाया कि याची गंभीर आर्थिक अपराध में शामिल है।

कोर्ट ने कहा कि याची की ओर से किया गया कृत्य न केवल समाज की अंतरात्मा को झकझोरने वाला  है, बल्कि सार्वजनिक रूप से चोट पहुंचाने वाला है। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वह डेढ़ साल से अधिक समय से जेल में है और बीमारियों से परेशान हैं, लेकिन केंद्र सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने इसका विरोध किया। कोर्ट ने इसे जमानत का आधार नहीं माना और जमानत अर्जी को खारिज कर दी।

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