हाईकोर्ट : सीएए व एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन में राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोपी को राहत

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 12 Feb 2022 01:07 AM IST

सार

मोहम्मद कैफ पर वाराणसी जिले के भेलूपुर थाने में सीएए, एनआरसी विरोध प्रदर्शनों के दौरान देश विरोधी नारे लगाकर धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश करने का आरोप है। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आवेदक निर्दोष है और उसे मामले में खुद को गिरफ्तार किए जाने की आशंका है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएए और एनआरसी केविरोध प्रदर्शन के दौरान राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी सशर्त मंजूर कर ली है। कोर्ट ने कहा कि मामले में तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अग्रिम जमानत दी जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने मोहम्मद कैफ की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।

मोहम्मद कैफ पर वाराणसी जिले के भेलूपुर थाने में सीएए, एनआरसी विरोध प्रदर्शनों के दौरान देश विरोधी नारे लगाकर धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश करने का आरोप है। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आवेदक निर्दोष है और उसे मामले में खुद को गिरफ्तार किए जाने की आशंका है, जबकि उसके खिलाफ  कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है। याची का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। यह भी तर्क दिया गया कि एफआईआर में आवेदक का नाम नहीं है। 16 नामजद और कुछ अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

मामले में सहआरोपी अशरफ और अशरफ  अली खान को पहले ही अदालत द्वारा अग्रिम जमानत दी जा चुकी है। हालांकि सरकारी अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत अर्जी पर विरोध जताया। कहा कि आरोपी अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल रहा और उसने भड़काऊ भाषण दिए। इसलिए वह जमानत का हकदार नहीं है। लेकिन कोर्ट ने परिस्थितियों को देखते हुए याची की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली।

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएए और एनआरसी केविरोध प्रदर्शन के दौरान राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी सशर्त मंजूर कर ली है। कोर्ट ने कहा कि मामले में तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अग्रिम जमानत दी जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने मोहम्मद कैफ की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।

मोहम्मद कैफ पर वाराणसी जिले के भेलूपुर थाने में सीएए, एनआरसी विरोध प्रदर्शनों के दौरान देश विरोधी नारे लगाकर धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश करने का आरोप है। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आवेदक निर्दोष है और उसे मामले में खुद को गिरफ्तार किए जाने की आशंका है, जबकि उसके खिलाफ  कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है। याची का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। यह भी तर्क दिया गया कि एफआईआर में आवेदक का नाम नहीं है। 16 नामजद और कुछ अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

मामले में सहआरोपी अशरफ और अशरफ  अली खान को पहले ही अदालत द्वारा अग्रिम जमानत दी जा चुकी है। हालांकि सरकारी अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत अर्जी पर विरोध जताया। कहा कि आरोपी अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल रहा और उसने भड़काऊ भाषण दिए। इसलिए वह जमानत का हकदार नहीं है। लेकिन कोर्ट ने परिस्थितियों को देखते हुए याची की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली।

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