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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 13 Apr 2022 10:08 PM IST
सार
मामले में याची गोरखपुर में रेलवे सुरक्षा बल में सिपाही के पद पर तैनात था। अपने निलंबन के मामले में उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने मामले में 2015 में याची के पक्ष में फैसला किया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्वोत्तर रेलवे सुरक्षा बल के मुख्य सुरक्षा आयुक्त (सीएससी) अतुल कुमार श्रीवास्तव को अवमानना का दोषी माना है। हालांकि, उन्हें सजा सुनाने से पहले उन्हें अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को 24 घंटे की मोहलत देते हुए आदेश के अनुपालन का मौका दिया है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तिथि लगाई है। सीएससी को उस दिन भी सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष पेश रहना होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने कृत्यानंद राय की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में याची गोरखपुर में रेलवे सुरक्षा बल में सिपाही के पद पर तैनात था। अपने निलंबन के मामले में उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने मामले में 2015 में याची के पक्ष में फैसला किया। याची के अधिवक्ता राजीव चड्ढा ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद याची को पांच साल तक ज्वानिंग नहीं कराई गई। 2021 में ज्वाइनिंग कराई गई लेकिन उसे वेतन के साथ मिलने वाले अन्य लाभों से वंचित रखा गया।
याची ने अवमानना याचिका दाखिल की तो कोर्ट ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त को तलब कर दिया। कोर्ट ने अवमानना को दोषी पाया। हालांकि, कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के आग्रह पर सजा नहीं सुनाई लेकिन उन्हें 24 घंटे में आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। उस दिन सीएससी कोर्ट के समक्ष पेश रहेंगे। अगर वह आदेश का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें सजा सुनाई जाएगी।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्वोत्तर रेलवे सुरक्षा बल के मुख्य सुरक्षा आयुक्त (सीएससी) अतुल कुमार श्रीवास्तव को अवमानना का दोषी माना है। हालांकि, उन्हें सजा सुनाने से पहले उन्हें अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को 24 घंटे की मोहलत देते हुए आदेश के अनुपालन का मौका दिया है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तिथि लगाई है। सीएससी को उस दिन भी सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष पेश रहना होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने कृत्यानंद राय की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में याची गोरखपुर में रेलवे सुरक्षा बल में सिपाही के पद पर तैनात था। अपने निलंबन के मामले में उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने मामले में 2015 में याची के पक्ष में फैसला किया। याची के अधिवक्ता राजीव चड्ढा ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद याची को पांच साल तक ज्वानिंग नहीं कराई गई। 2021 में ज्वाइनिंग कराई गई लेकिन उसे वेतन के साथ मिलने वाले अन्य लाभों से वंचित रखा गया।
याची ने अवमानना याचिका दाखिल की तो कोर्ट ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त को तलब कर दिया। कोर्ट ने अवमानना को दोषी पाया। हालांकि, कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के आग्रह पर सजा नहीं सुनाई लेकिन उन्हें 24 घंटे में आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। उस दिन सीएससी कोर्ट के समक्ष पेश रहेंगे। अगर वह आदेश का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें सजा सुनाई जाएगी।
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