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उन्नाव। गोशालाओं में संरक्षित मवेशियों के लिए अफसर ग्रामीणों से भूसा दान मांग रहे हैं। जिले को एक लाख दस हजार क्विंटल भूसा दान कराने का लक्ष्य मिला है। बाजार की कीमतों के अनुसार इतने भूसे की कीमत करीब 11 करोड़ होगी। भूसे का इंतजाम करने में सभी एसडीएम और पशुपालन विभाग के अधिकारियों की हालत खराब है। वह भूसे के लिए भागदौड़ कर ग्रामीणों से हाथ जोड़ रहे हैं।
वर्ष 2019 में योगी सरकार ने छुट्टा मवेशियों से निजात दिलाने के लिए गांव में गोशालाओं और निकायों में कांजी हाउस (कान्हा उपवन) का निर्माण कराने के आदेश दिए थे।
पशुपालन विभाग का कहना है इस समय ग्रामीण क्षेत्रों में 201 पशु आश्रयस्थल संचालित हैं। इसके अलावा हर तहसील में गो आश्रयस्थल व कांजी हाउस संचालित हैं। मौजूदा समय में इनमें 20 हजार गोवंश संरक्षित होने की बात कही जा रही है। शासनादेश के अनुसार संरक्षित गोवंशों को भूसे के साथ हरा चारा व पानी मिलना चाहिए। शासन ने भूसा दान में लेने के आदेश दिए हैं। इसकी जिम्मेदारी तहसील में एसडीएम और जिले पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को दी गई है। जिले को 1.10 लाख क्विंटल भूसा एकत्र करने का लक्ष्य मिला है लेकिन अभी तक आठ हजार क्विंटल ही भूसा दान में मिला है। लक्ष्य कैसे पूरा होगा इसको लेकर अधिकारियों को कुछ सूझ नहीं रहा है।
ये है दाम
इस समय भूसे का रेट 900 से एक हजार रुपये प्रति क्विंटल है। जानकारों के मुताबिक, अधिकारी भूसा दान में मांग रहे हैं। जबकि कीमत के हिसाब से दान का भूसा करीब 11 करोड़ का पड़ रहा है। अब अधिकारी करोड़ों की चीज का दान मांग रहे हैं। इसको लेकर ग्रामीण भी चुटकी लेने से नहीं चूक रहे हैं।
15 जून अंतिम तिथि, पूरा करेंगे लक्ष्य
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. निर्मल कुमार का कहना है कि भूसा दान कराने की तारीख 15 जून कर दी गई है। दावा किया कि निर्धारित तिथि तक लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।
राशन के बदले भूसा देने के दबाव की शिकायत
सफीपुर। विकासखंड के गांव नौबतपुर निवासी रमेश, रामदीन, रामबाबू, मकरंद, राजेंद्र, दिलीप, भागीरथ व लाला ने एसडीएम रामसकल मौर्य को शिकायतीपत्र दिया है। बताया कि गांव की कोटेदार प्रति परिवार पांच किलो भूसा लाने का दबाव बना रही हैं। भूसा लाने वालों को ही राशन दिया जा रहा है।
इसके अलावा खरगौरा व मवई लाल आदि गांवों से भी राशन के बदले भूसे की बात सामने आई है। एसडीएम ने पूर्ति निरीक्षक से जब ऐसे किसी निर्देश की जानकारी ली तो उन्होंने इंकार कर दिया। एसडीएम ने कहा कि स्वेच्छा से जो बड़े किसान पशु आश्रयस्थलों को भूसा दान करना चाहते हैं वह कर सकते हैं। उन्होंने मामले की जांच कराकर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
उन्नाव। गोशालाओं में संरक्षित मवेशियों के लिए अफसर ग्रामीणों से भूसा दान मांग रहे हैं। जिले को एक लाख दस हजार क्विंटल भूसा दान कराने का लक्ष्य मिला है। बाजार की कीमतों के अनुसार इतने भूसे की कीमत करीब 11 करोड़ होगी। भूसे का इंतजाम करने में सभी एसडीएम और पशुपालन विभाग के अधिकारियों की हालत खराब है। वह भूसे के लिए भागदौड़ कर ग्रामीणों से हाथ जोड़ रहे हैं।
वर्ष 2019 में योगी सरकार ने छुट्टा मवेशियों से निजात दिलाने के लिए गांव में गोशालाओं और निकायों में कांजी हाउस (कान्हा उपवन) का निर्माण कराने के आदेश दिए थे।
पशुपालन विभाग का कहना है इस समय ग्रामीण क्षेत्रों में 201 पशु आश्रयस्थल संचालित हैं। इसके अलावा हर तहसील में गो आश्रयस्थल व कांजी हाउस संचालित हैं। मौजूदा समय में इनमें 20 हजार गोवंश संरक्षित होने की बात कही जा रही है। शासनादेश के अनुसार संरक्षित गोवंशों को भूसे के साथ हरा चारा व पानी मिलना चाहिए। शासन ने भूसा दान में लेने के आदेश दिए हैं। इसकी जिम्मेदारी तहसील में एसडीएम और जिले पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को दी गई है। जिले को 1.10 लाख क्विंटल भूसा एकत्र करने का लक्ष्य मिला है लेकिन अभी तक आठ हजार क्विंटल ही भूसा दान में मिला है। लक्ष्य कैसे पूरा होगा इसको लेकर अधिकारियों को कुछ सूझ नहीं रहा है।
ये है दाम
इस समय भूसे का रेट 900 से एक हजार रुपये प्रति क्विंटल है। जानकारों के मुताबिक, अधिकारी भूसा दान में मांग रहे हैं। जबकि कीमत के हिसाब से दान का भूसा करीब 11 करोड़ का पड़ रहा है। अब अधिकारी करोड़ों की चीज का दान मांग रहे हैं। इसको लेकर ग्रामीण भी चुटकी लेने से नहीं चूक रहे हैं।
15 जून अंतिम तिथि, पूरा करेंगे लक्ष्य
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. निर्मल कुमार का कहना है कि भूसा दान कराने की तारीख 15 जून कर दी गई है। दावा किया कि निर्धारित तिथि तक लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।
राशन के बदले भूसा देने के दबाव की शिकायत
सफीपुर। विकासखंड के गांव नौबतपुर निवासी रमेश, रामदीन, रामबाबू, मकरंद, राजेंद्र, दिलीप, भागीरथ व लाला ने एसडीएम रामसकल मौर्य को शिकायतीपत्र दिया है। बताया कि गांव की कोटेदार प्रति परिवार पांच किलो भूसा लाने का दबाव बना रही हैं। भूसा लाने वालों को ही राशन दिया जा रहा है।
इसके अलावा खरगौरा व मवई लाल आदि गांवों से भी राशन के बदले भूसे की बात सामने आई है। एसडीएम ने पूर्ति निरीक्षक से जब ऐसे किसी निर्देश की जानकारी ली तो उन्होंने इंकार कर दिया। एसडीएम ने कहा कि स्वेच्छा से जो बड़े किसान पशु आश्रयस्थलों को भूसा दान करना चाहते हैं वह कर सकते हैं। उन्होंने मामले की जांच कराकर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
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