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दरअसल, हमीरपुर विधानसभा सीट से भाजपा ने मनोज प्राजपति को मैदान में उतारा है। जबकि समाजवादी पार्टी ने रामप्रकाश प्रजापति को। चुनाव तारीखों के एलान तक समाजवादी रहे मनोज स्थानीय विधायक युवराज सिंह का टिकट कटने के बाद भाजपाई हो गए। जबकि नौकरशाह रहे रामप्रकाश ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। ऐसे में मनोज और रामप्रकाश दोनों ही अपने दलों में नए चेहरे हैं।
पहले अखिलेश का करते थे गुणगान, अब हो गए विरोधी
हमीरपुर में सदर सीट से भाजपा उम्मीदवार मनोज प्रजापति हमीरपुर में ललपुरा थाना क्षेत्र में पौथिया गांव के रहने वाले हैं। वे इसी सीट से दो बार सपा के बैनर से चुनाव लड़ चुके हैं। दोनों बार इन्हें हार का सामना करना पड़ा है। जबकि इनके पिता तीन बार हमीरपुर सदर सीट से विधायक और मंत्री रहे हैं। शिवचरण प्रजापति दो बार हाथी पर सवार होकर विधायक बने थे। मंत्री पद से नवाजे गए थे, तो वहीं एक बार सपा से भी विधायक बन चुके हैं।
मनोज प्रजापति भले ही दो बार चुनाव हार चुके हों लेकिन उनके पीछे उनके पिता की राजनैतिक विरासत है, तो वहीं हमीरपुर सदर सीट पर प्रजापति समाज का वोट भी अच्छा खासा है, लेकिन उसमें अब सियासी पेंच फंस गया है क्योंकि समाजवादी पार्टी ने भी प्रजापति समाज से ही प्रत्याशी उतारा है। ऐसे में सपा और भाजपा के बीच होने वाली चुनावी जंग काफी रोमांचक हो गई है।
भाजपा कार्यकर्ता अमर उजाला से बातचीत में कहते हैं कि मनोज पहले सपा में थे तो जमकर मोदी-योगी की अलोचना करते थे। लेकिन अब उन्हें संघ और भाजपा की रीति नीति सिखाना और समझाना पड़ रहा है। सुबह प्रचार में जाने से पहले उन्हें मोदी-योगी सरकार के कामकाज और योजनाओं के बारे में बताया जाता है। इसके बाद वे प्रचार के लिए निकलते हैं। इसके अलावा प्रत्याशियों को पढ़ने के लिए संघ और भाजपा का इतिहास भी दिया गया। वहीं योगी सरकार की योजनाओं की जानकारी दी गई है ताकि वह भी इन्हें अच्छी तरह समझ सकें।
सीखना पड़ रहा है राजनीति का ककहारा
इस सीट से सपा ने जिले की मवईजार गांव निवासी रामप्रकाश प्रजापति को प्रत्याशी घोषित किया है। रामप्रकाश ने कुछ महीने पहले ही सपा की सदस्यता ग्रहण की है। रामप्रकाश के पिता वन विभाग में कार्यरत थे। इसके बाद इनकी भी नौकरी वन विभाग में लग गई। कई वर्ष रेंजर पद पर रहने के बाद एसडीओ के पद से यह सेवानिवृत्त हुए हैं। 61 वर्ष की उम्र में पहली बार एमएलए का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इस सीट पर प्रजापति बिरादरी के अच्छे खासे मतदाता हैं।
सपा के लोगों का कहना है कि रामप्रकाश प्रजापति को नौकरशाही का अच्छा अनुभव है लेकिन राजनीति में नए हैं। अखिलेश भैय्या के करीबी होने के कारण इन्हें यहां से टिकट तो मिल गया लेकिन अब उन्हें सबके बारे में बताना पड़ रहा है।
साध्वी निरंजन ज्योति ने भी संभाला मोर्चा
राजनीतिक तौर पर भी बुंदेलखंड में हमीरपुर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। यहां दो विधानसभा क्षेत्र हैं। दोनों पर ही भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। 2017 में हमीरपुर सदर से युवराज सिंह और राठ विधानसभा सीट से मनीषा अनुरागी विधायक चुनी गई थीं। हमीरपुर में ही केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का पैतृक गांव है। इसलिए यहां साध्वी ने भी मोर्चा संभाल रखा है। हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की रैली में साध्वी निरंजन ज्योति ने भाजपा के सभी गुटों के नेताओं को मंच पर बुलाया और उन्हें एकसाथ खड़ा कर पार्टी में एकता होने का संदेश देने की कोशिश की।
यह कहता है सीट का समीकरण
इस विधानसभा सीट के पिछले 33 वर्षों के इतिहास पर नजर डालें तो पांच बार क्षत्रिय विधायक और पांच बार पिछड़ा वर्ग का विधायक चुना गया है। यहां सवर्ण मतदाता निर्णायक वोटर माना जाता है। जिस दल की तरफ इनका रुझान हो गया उसी दल के प्रत्याशी की जीत पक्की मानी जाती है। हालांकि विकास के पैमाने की बात की जाए तो जनता की उम्मीदों पर कोई खरा नहीं उतर सका है। शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से आज भी पूरा क्षेत्र महरूम है। इस सीट पर कुल 411026 मतदाता हैं। जिसमें पुरुष 224919 और महिला 186101 हैं। इसमें दलित 50 हजार, मुस्लिम 45 हजार, निषाद 48 हजार, ठाकुर 40 हजार, ब्राह्मण 32 हजार, प्रजापति 30 हजार, अहिरवार 25 हजार, यादव 20 हजार और अन्य एक लाख 21 हजार मतदाता हैं।
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