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सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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जेलों में बंद माफिया और अपराधी वहां तमाम सुविधाएं पाने के लिए पहले जेल कार्मिकों को पहले लालच देते हैं, फिर डराते और परिवार का भय दिखाते हैं। इस पर भी जो नहीं झुकते हैं, वे अपने को खतरा महसूस करते हैं। जेल अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने प्रभाव में लेने का ये बरसों पुराना तरीका आज भी अपनाया जा रहा है।
जेलों में भ्रष्टाचार के तमाम मामले सामने आते रहते हैं लेकिन जेल कार्मिकों व उनके परिजनों की सुरक्षा और माफिया व अपराधियों के खौफ की चर्चा तक नहीं होती है। हालात ये हैं कि कई जेलकर्मियों को फर्ज निभाने के दौरान अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। पिछले ढाई दशक में 17 जेलकर्मी कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें जेल वार्डर से जेलर तक शामिल हैं।
जेल में सुधार के सभी प्रयोग हुए विफल
जेलों में सुधार करने के लिए कई राज्यों में प्रयोग हुए लेकिन सभी विफल रहे। दो साल पहले उत्तराखंड में जेल अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिए एएसपी रैंक के अफसरों की तैनाती की गई तो मामला हाईकोर्ट चला गया। कोर्ट ने जेल संवर्ग के अधिकारियों को ही प्रोन्नत करने का आदेश दिया। इसके बाद एएसपी को हटाना पड़ा।
इसी तरह पंजाब में पुलिस अधिकारियों की तैनाती हुई तो उन्होंने सुरक्षा पर ही सवाल उठा दिए। वहीं, अपराधियों ने भी पुलिस अधिकारियों की घेराबंदी के लिए तमाम जगहों पर शिकायतें करनी शुरू कर दी। दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुरक्षा के लिहाज से अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की गई लेकिन वहां पर मोबाइल, नशा आदि पर लगाम नहीं लगाई जा सकी।
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