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बिजनौर के आसफ अली
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
सरदार भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई थी। बलिदान दिवस पर उन्हें देशभर में श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। बिजनौर के आसफ अली को भी याद किया जा रहा है। इन्होंने ही भगत सिंह के मुकदमे में परामर्श दिया था। सहारनपुर, बागपत और मुजफ्फरनगर से भी भगत सिंह यादें जुड़ी हैं।
आठ अप्रैल 1929 को सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केंद्रीय असेंबली में बम फेंका था। इन पर अंग्रेजी हुकूमत द्वारा असेंबली में बम फोड़ने पर मुकदमा चलाया गया था। इस मुकदमे की पैरवी जहां सरदार भगत सिंह ने खुद की थी। बटुकेश्वर दत्त की पैरवी जनपद बिजनौर के स्योहारा में जन्मे आसफ अली ने की थी। सरदार भगत सिंह ने अपना मुकदमा खुद लड़ा था लेकिन न्यायालय में की जाने वाली कागजी कार्यवाही के लिए उन्होंने आसफ अली से सहायता ली थी।
राजनीतिक इतिहासकार एजी नूरानी की पुस्तक ‘द ट्रायल ऑफ भगत सिंह पॉलिटिक्स ऑफ जस्टिस’ में आसफ अली का विस्तार से जिक्र किया गया है। जेएनयू में प्रोफेसर रहे और सरदार भगत सिंह पर कई पुस्तक लिखने वाले डॉक्टर चमन लाल ने भी अपनी पुस्तक में आसफ अली को भगत सिंह का न्यायिक परामर्शदाता बताया है।
मुजफ्फरनगर के कस्बा चरथावल में जन्में योगी अभयदेव की भगत सिंह से मुलाकात हुई थी। 1967 में आई पुस्तक एक योग यात्री की पांडुलिपी में अभयदेव की भगत सिंह से हुई मुलाकातों और देशभक्ति से जुड़ी बातों का जिक्र है।
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