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डा नाजनीन जेहरा
– फोटो : अमर उजाला
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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर, डा नाजनीन जेहरा ने कैटमॉस्फियर फाउंडेशन के सहयोग से अफ्रीका मैसिव द्वारा ‘बहुतायत, निवास स्थान, भोजन की आदतें, होम रेंज, मूवमेंट पैटर्न और गिर परिदृश्य, गुजरात, भारत में तेंदुआ-मानव सेघर्ष एक व्यवहार्य माडल की आवश्यकता‘ विषय पर आयोजित 5-दिवसीय ऑनलाइन आभासी सम्मेलन में एक व्याख्यान प्रस्तुत किया।
एएमयू के वन्यजीव विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. नाजनीन जेहरा ने तेंदुओं की पूरी रेंज में उनके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि वैश्विक स्तर पर तेंदुओं की आबादी में तेजी से गिरावट आ रही है।
कैटमॉस्फियर फाउंडेशन के सहयोग से अफ्रीका मैसिव की ओर से आयोजित व्याख्यान में वह बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बड़ी बिल्लियों की यह प्रजाति सबसे अधिक अनुकूलनीय है और कहीं भी जा सकती है। उन्होंने कहा कि एक बड़ी रेंज में तेंदुए कहीं भी रह सकते हैं।
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