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इलाहाबाद हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत पाने के लिए कोर्ट को आश्वासन देकर पूरा न करने को गंभीरता से लिया है और कहा है कि अधिवक्ता न्यायिक संस्था के स्तंभ है। उनसे ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती कि अंतरिम राहत पाने के लिए स्वयं के लिए दुखद स्थिति तैयार करें। जिससे न्याय व्यवस्था प्रभावित हो। कोर्ट ने कहा याची अधिवक्ता ने 12 लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट विपक्षी संसारवती के नाम देने का वायदा कर अंतरिम राहत प्राप्त की और आदेश का अनुपालन नहीं किया गया।
याचीगण विपक्षी की बेटी दामाद हैं। विपक्षी वकीलों ने कहा तीन बार केस लगा फाइल कोर्ट में नहीं आई। लिस्ट रिवाइज होने पर भी याची अधिवक्ता लक्ष्मीकांत भट्ट मौजूद नहीं है। इस पर कोर्ट ने छह फीसदी व्याज सहित वसूली कार्यवाही करने का भी आदेश दिया।
कोर्ट ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव को अधिवक्ताओं के ऐसे आचरण के मुद्दे पर सहयोग करने के लिए अगली तिथि पर बुलाया है। साथ ही याची अधिवक्ता लक्ष्मीकांत भट्ट को भी अपने आचरण की सफाई के साथ मौजूद रहने का आदेश दिया है। कोर्ट ने एसएसपी मेरठ को भी निर्देश दिया है कि देहरादून के पते पर रह रहे मीनाक्षी व विनोद कुमार कटारिया की कोर्ट में उपस्थिति सुनिश्चित करें।
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