Lok Sabha Election 2024: वोटों का ‘बिखराव’ ही विपक्षी दलों की रणनीति; भाजपा को मिलने लगा है मुसलमानों का साथ

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Lok Sabha Election 2024 Major parties will avoid alliance to stop BJP

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

अगले लोकसभा चुनाव में वोटों का बिखराव ही विपक्षी दलों की मुख्य रणनीति होगी। भाजपा को रोकने के लिए प्रमुख दल गठबंधन से परहेज करेंगे। उनकी कोशिश है कि किसी भी दशा में धार्मिक ध्रुवीकरण न हो सके। कांग्रेस और सपा इसी दिशा में आगे बढ़ते दिख रहे हैं। बसपा तो विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस से गठबंधन का प्रस्ताव ठुकरा चुकी है।

भाजपा ने जहां यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य लिया है, वहीं सपा उन्हें सभी 80 सीटों पर हराने का दावा कर रही है। दोनों के दावे उनके पक्ष में किसी बड़ी लहर से ही पूरे हो सकते हैं। भाजपा के हमदर्द जनवरी में अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण पूरा होने को बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं। विपक्ष भी सत्ताधारी दल की इस रणनीति को नजरअंदाज करने की भूल नहीं करना चाहता।

सपा यादव और मुस्लिम मतों को अपना कोर आधार मानकर चल रही है। कश्यप समेत अन्य पिछड़ी जातियों में भी यथासंभव सेंध लगाने का प्रयास कर रही है। यहां तक कि कांशीराम की विरासत पर भी उसने अपना दावा कर दिया है। सपा अपने उस बयान से भी पीछे नहीं हटना चाहती, जिसमें कहा गया है कि देश के 10 फीसदी सामान्य वर्ग के लोग 60 फीसदी राष्ट्रीय संपत्ति पर काबिज हैं।

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यहां समझने की बात यह है कि पिछड़े और दलित मतदाताओं पर फोकस करने के बावजूद सपा ब्राह्मण समेत सामान्य वर्ग के नेताओं को अच्छी खासी संख्या में टिकट देगी। यह उनके रणकौशल का हिस्सा है, जो सपा के रणनीतिकारों के अनुसार धार्मिक आधार पर मतदाताओं को बंटने से रोकेगा। सपा यह भी चाहती है कि कांग्रेस स्वतंत्र रूप से लड़े, क्योंकि हार-जीत की कम मार्जिन वाली सीटों पर यह उसके लिए मददगार साबित हो सकता है। आम तौर पर कांग्रेस को जो भी मामूली मत मिलते हैं, वो सामान्य वर्ग के ही होते हैं, जो इधर भाजपा का आधार माने जाने लगा है।

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