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असद, अतीक और गुलाम
– फोटो : अमर उजाला
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नगर निकाय चुनाव के ठीक पहले अतीक के बेटे असद और गुलाम के एनकाउंटर से सियासी पारा चरम पहुंच गया है। असद का एनकाउंटर और कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है। एनकाउंटर पर सवाल उठाने के साथ सपा और बसपा प्रमुखों ने मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण की कवायद तेज कर दी है तो मुख्यमंत्री योगी ने भी एसटीएफ की पीठ थपथपा कर अगड़ी जाति बहुल वाले इस चुनाव में पार्टी की मंशा स्पष्ट कर दी है। प्रयागराज के चुनाव में जातीय समीकरण के साथ अतीक अहमद भी हमेशा एक बड़ा फैक्टर रहा है।
अब असद का एनकाउंटर मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण के लिहाज से पूरे प्रदेश में बड़ा मुद्दा बन गया है। नगर निगम की बात करें तो यहां कुल 15 लाख से अधिक वोटर हैं। इनमें करीब 64 फीसदी अगड़ी जाति के मतदाता हैं। वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी यानि, तीन लाख के करीब है। रेंडम सर्वे के अनुसार निगम क्षेत्र में 19.38 प्रतिशत यानि, करीब तीन लाख पिछड़ी जाति के मतदाता हैं। इनमें भी यादव और पटेल मतदाताओं की प्रभावी संख्या है।
सपा ने अजय श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाकर करीब ढाई लाख कायस्थ मतदाताओं को साधने की कोशिश की है तो पार्टी की नजर पिछड़ी जाति के अलावा मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण पर भी है। अखिलेश यादव ने असद के एनकाउंटर के बाद प्रतिक्रिया देने में देरी न करके स्थिति भी स्पष्ट कर दी। उनके बयान के बाद सपा के स्थानीय नेताओं भी इस एनकाउंटर को लेकर मुस्लिम मतदाताओं के बीच में हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि मुस्लिम पहले से सपा के साथ हैं। इसके अलावा यहां भाजपा के खिलाफ सपा ही मुख्य लड़ाई में है। ऐसे में असद के एनकाउंटर के बाद सपा के पक्ष में उनका ध्रुवीकरण और तेज होगा।
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