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अलीगढ़ महानगर के बन्नादेवी क्षेत्र के एलमपुर आवासीय कालोनी में रहने वाली विधवा महिला ने बेटे की नौकरी के नाम पर अपने जेवरात गिरवी रख दो लाख रुपये रिश्वत दी। मगर बेटे को फर्जी तरीके से सेना की वर्दी और आईकार्ड थमा दिया। जब यह भेद खुला तो घरों में काम करने वाली महिला के पैरों तले जमीन खिसक गई। अधिकारियों की दर पर ठोकर खाने के बाद अब आकर महिला की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ है। जिसमें दिल्ली के कथित सेना अफसर दंपती सहित चार आरोपी बनाए गए हैं।
महिला गायत्री देवी की ओर से यह मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिसमें आरोप है कि उसके पति हरिओम की मौत के बाद वह घरों में काम कर परिवार का पालन करती है। घर में बेटी खुशबू के अलावा दसवीं पास बेटा शानू है। बेटी की स्कूली सहेली पथरवारी बरौला की ललिता उर्फ लाव्या एक दिन अपने जीजा अजय चौहान निवासी डी ब्लाक सेक्टर-1 रोणिही-7 दिल्ली को सेना में सीओ व अग्निवीर का भरती अधिकारी बताते हुए कहा कि वह शानू की अग्निवीर के तहत सेना में नौकरी लगवा सकती है। इस पर महिला के मन में लालच आ गया और उसने ललिता के बहनोई से बात की। उस तरफ से दो लाख रुपये की रिश्वत के बदले तीन माह में नौकरी का वायदा किया गया।
इसी क्रम में सबसे पहले एडवांस में 50 हजार रुपये दिए गए। फिर आधार कार्ड में शानू का पता दिल्ली का दर्शाने की ऐवज में 10 हजार, सत्यापन के नाम पर 15 हजार, ट्रेनिंग व वर्दी के नाम पर 10 हजार सहित कई बार में कुल दो लाख रुपये लिए गए। यह पूरी रकम महिला ने बेटे की नौकरी के मकसद से अपने जेवर गिरवी रख दी। यह रकम उसने स्वयं सहायता समूह से गिरवी के बदले ऋण पर ली।
इसके बाद बेटे को सेना की फर्जी वर्दी व आईकार्ड थमा दिया। खुद बेटे को जब इस फर्जीवाड़े की जानकारी हुई तो उसने अपनी मां व बहन को पूरा वाकया बताया। बाद में अजय व उसकी साली से कहा गया तो वे धमकाने लगे। मामले में अधिकारियों से शिकायत की गई। किसी तरह एसएसपी के निर्देश पर प्रकरण में ललिता, उसके जीता अजय चौहान, अजय की पत्नी चंचल, ललिता के पिता सुभाष पर ठगी का मुकदमा दर्ज कराया है। जिसमें आरोप है कि इनके इस कृत्य की वजह से पूरा परिवार कर्ज में डूब गया है। इंस्पेक्टर बन्नादेवी ने मुकदमे पुष्टि की।
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