हाईकोर्ट : गोरखपुर एसएसपी और वित्त नियंत्रक पुलिस मुख्यालय को अवमानना नोटिस

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 21 Feb 2022 11:42 PM IST

सार

कोर्ट ने कहा है कि इन अधिकारियों के खिलाफ  प्रथमदृष्टया अवमानना का केस बनता है। अगर आदेश का पालन कर दिया जाता है तो हाजिर होने की जरूरत नहीं होगी। केवल अनुपालन हलफनामा दाखिल करना होगा।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर के एसएसपी डॉ. विपिन टांडा और वित्त नियंत्रक पुलिस मुख्यालय लखनऊ शिव चरण सिंह को अवमानना की नोटिस जारी की है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को 22 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने या 29 अप्रैल को हाजिर होने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि इन अधिकारियों के खिलाफ  प्रथमदृष्टया अवमानना का केस बनता है। अगर आदेश का पालन कर दिया जाता है तो हाजिर होने की जरूरत नहीं होगी। केवल अनुपालन हलफनामा दाखिल करना होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने रिटायर्ड हेड कांस्टेबल बनारसी प्रसाद की अवमानना याचिका पर दिया है।

याची की ओर से तर्क दिया गया कि वह 2010 में रिटायर हुआ। आपराधिक केस लंबित होने के कारण सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया गया। आपराधिक केस में वह 2017 में बरी हो गया। 2018 में भुगतान किया गया। याची ने बरी होने से भुगतान तक की अवधि का ब्याज मांगा। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए आदेश दिया लेकिन उसका अनुपालन नहीं किया गया। इसकी वजह से याची ने अवमानना याचिका दाखिल की है। ब्यूरो

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर के एसएसपी डॉ. विपिन टांडा और वित्त नियंत्रक पुलिस मुख्यालय लखनऊ शिव चरण सिंह को अवमानना की नोटिस जारी की है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को 22 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने या 29 अप्रैल को हाजिर होने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि इन अधिकारियों के खिलाफ  प्रथमदृष्टया अवमानना का केस बनता है। अगर आदेश का पालन कर दिया जाता है तो हाजिर होने की जरूरत नहीं होगी। केवल अनुपालन हलफनामा दाखिल करना होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने रिटायर्ड हेड कांस्टेबल बनारसी प्रसाद की अवमानना याचिका पर दिया है।

याची की ओर से तर्क दिया गया कि वह 2010 में रिटायर हुआ। आपराधिक केस लंबित होने के कारण सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया गया। आपराधिक केस में वह 2017 में बरी हो गया। 2018 में भुगतान किया गया। याची ने बरी होने से भुगतान तक की अवधि का ब्याज मांगा। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए आदेश दिया लेकिन उसका अनुपालन नहीं किया गया। इसकी वजह से याची ने अवमानना याचिका दाखिल की है। ब्यूरो

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