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सार
2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को 30.43 फीसदी वोट और 206 सीटें प्राप्त हुई थीं। इससे पार्टी अकेले दम पर सत्ता में पहुंचने में कामयाब रही थी। इसके बाद 2012 में पार्टी को केवल 80 सीटें ही मिलीं, लेकिन इस चुनाव में भी उसका मत प्रतिशत 25.91 बना रहा था…
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले तीन चरणों में मायावती पर कम सक्रिय होने के आरोप लगते रहे हैं। इससे बसपा के कोर मतदाताओं के बीच बिखराव होने की आशंका तक जताई जाती रही है, लेकिन बसपा नेता इन खबरों को बेबुनियाद बताते हुए इस चुनाव में सत्ता की चाबी अपने हाथ होने का दावा करते रहे हैं। दावा है कि बसपा और बामसेफ संगठन के कार्यकर्ता लगातार अपने मतदाताओं के बीच सक्रिय हैं और उन्हें एकजुट होकर मतदान करने की अपील कर रहे हैं। अवध और पूर्वांचल के क्षेत्रों में पार्टी का बड़ा जनाधार है और इन चरणों में पार्टी अपने मतदाताओं को एकजुट कर अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है।
बसपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी नेता मतदाताओं को एकजुट रहने और किसी गलतफहमी में न पड़ने की सलाह दे रहे हैं। बामसेफ कार्यकर्ता चुनाव के पहले से ही मतदाताओं के बीच रहकर उन्हें दलित समुदाय की राजनीति को आगे बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। वे पूरे दमखम से बसपा कार्यकर्ताओं को जिताने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए दलित समुदाय के साथ-साथ अन्य मतदाता वर्गों को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है। पार्टी का दावा है कि इस चुनाव में भी वह शानदार प्रदर्शन करने में कामयाब रहेगी।
यह रहा है अभी तक का प्रदर्शन
2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को 30.43 फीसदी वोट और 206 सीटें प्राप्त हुई थीं। इससे पार्टी अकेले दम पर सत्ता में पहुंचने में कामयाब रही थी। इसके बाद 2012 में पार्टी को केवल 80 सीटें ही मिलीं, लेकिन इस चुनाव में भी उसका मत प्रतिशत 25.91 बना रहा था। पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2017 में बसपा को केवल 19 सीटें मिलीं, लेकिन इस चुनाव में भी उसका मत प्रतिशत 22.23 बना रहा था।
2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को कोई सीट नहीं मिली, लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने पूरे देश में 4.14 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 19.6 फीसदी मत प्राप्त किया। इसी प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को पूरे देश में 3.63 फीसदी मत और यूपी में 19.3 फीसदी मत प्राप्त हुए। पार्टी उत्तर प्रदेश में भाजपा के बाद दूसरे नंबर की पार्टी रही थी। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। 2014 में शून्य पर सिमट गई बसपा को 2019 में 10 लोकसभा सीटें प्राप्त हुईं।
बसपा नेताओं का दावा है कि नरेंद्र मोदी के प्रचंड लहर में भी बसपा अपना जनाधार बरकरार रखने में कामयाब रही है। 2019 में जब भाजपा एक बार फिर अपने प्रचंड चुनावी वेग में थी, बसपा के मतदाता उसके साथ बरकरार रहे। पार्टी नेताओं का दावा है कि बसपा एक बार फिर इस चुनाव में छुपा हुआ रुस्तम करार होगी और उसके बिना प्रदेश में सरकार बनाना संभव नहीं होगा।
विस्तार
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले तीन चरणों में मायावती पर कम सक्रिय होने के आरोप लगते रहे हैं। इससे बसपा के कोर मतदाताओं के बीच बिखराव होने की आशंका तक जताई जाती रही है, लेकिन बसपा नेता इन खबरों को बेबुनियाद बताते हुए इस चुनाव में सत्ता की चाबी अपने हाथ होने का दावा करते रहे हैं। दावा है कि बसपा और बामसेफ संगठन के कार्यकर्ता लगातार अपने मतदाताओं के बीच सक्रिय हैं और उन्हें एकजुट होकर मतदान करने की अपील कर रहे हैं। अवध और पूर्वांचल के क्षेत्रों में पार्टी का बड़ा जनाधार है और इन चरणों में पार्टी अपने मतदाताओं को एकजुट कर अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है।
बसपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी नेता मतदाताओं को एकजुट रहने और किसी गलतफहमी में न पड़ने की सलाह दे रहे हैं। बामसेफ कार्यकर्ता चुनाव के पहले से ही मतदाताओं के बीच रहकर उन्हें दलित समुदाय की राजनीति को आगे बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। वे पूरे दमखम से बसपा कार्यकर्ताओं को जिताने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए दलित समुदाय के साथ-साथ अन्य मतदाता वर्गों को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है। पार्टी का दावा है कि इस चुनाव में भी वह शानदार प्रदर्शन करने में कामयाब रहेगी।
यह रहा है अभी तक का प्रदर्शन
2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को 30.43 फीसदी वोट और 206 सीटें प्राप्त हुई थीं। इससे पार्टी अकेले दम पर सत्ता में पहुंचने में कामयाब रही थी। इसके बाद 2012 में पार्टी को केवल 80 सीटें ही मिलीं, लेकिन इस चुनाव में भी उसका मत प्रतिशत 25.91 बना रहा था। पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2017 में बसपा को केवल 19 सीटें मिलीं, लेकिन इस चुनाव में भी उसका मत प्रतिशत 22.23 बना रहा था।
2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को कोई सीट नहीं मिली, लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने पूरे देश में 4.14 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 19.6 फीसदी मत प्राप्त किया। इसी प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को पूरे देश में 3.63 फीसदी मत और यूपी में 19.3 फीसदी मत प्राप्त हुए। पार्टी उत्तर प्रदेश में भाजपा के बाद दूसरे नंबर की पार्टी रही थी। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। 2014 में शून्य पर सिमट गई बसपा को 2019 में 10 लोकसभा सीटें प्राप्त हुईं।
बसपा नेताओं का दावा है कि नरेंद्र मोदी के प्रचंड लहर में भी बसपा अपना जनाधार बरकरार रखने में कामयाब रही है। 2019 में जब भाजपा एक बार फिर अपने प्रचंड चुनावी वेग में थी, बसपा के मतदाता उसके साथ बरकरार रहे। पार्टी नेताओं का दावा है कि बसपा एक बार फिर इस चुनाव में छुपा हुआ रुस्तम करार होगी और उसके बिना प्रदेश में सरकार बनाना संभव नहीं होगा।
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