Unnao News: झाड़-फूंक के शक में पत्नी की चेहरा कूंचकर हत्या

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उन्नाव। शहर के इब्राहिमबाग मोहल्ले में झाड़-फूंक के शक में पति ने पत्नी की हत्या कर दी। सिर पर हथौड़े व ईंट से प्रहार करने के बाद चेहरे पर चाकू से कई वार किए। मंगलवार पड़ोस में रहने वाला बड़ा बेटा पहुंचा तो चारपाई पर मां का रक्तरंजित शव देख सन्न रह गया। सूचना पर कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची। बेटे ने पिता के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

इब्राहिम बाग मोहल्ला निवासी आशीष कुमार ने पुलिस को बताया कि उसकी मां किशनदुलारी (60) और पिता नन्हकऊ प्रसाद में अक्सर झगड़ा होता था। पिता आए दिन मां पर झाड़-फूंक कराने का आरोप लगाकर मारपीट करते थे। दो दिन पहले भी दोनों में इसी बात पर झगड़ा हुआ था। पिता ने हत्या की धमकी भी दी थी। सोमवार रात को भी दोनों में झगड़ा हुआ।

वह रोज की बात समझकर कमरे में जाकर सो गया। इसी बीच पिता ने मां के सिर में हथौड़ा मारकर लहूलुहान कर दिया। बायीं आंख के पास चाकू से कई वार करने के बाद ईंट से चेहरा कूंच दिया। हत्या के बाद उसने आशीष के कमरे की बाहर से कुंडी लगाई और फरार हो गया।

मंगलवार सुबह पांच बजे पड़ोस में रहने वाले दूसरे नंबर के बेटे मुन्नूलाल ने घर का दरवाजा खुला देखा तो अंदर गया। मानसिक रूप से बीमार सबसे बड़ा भाई रामगोपाल बरामदे में जबकि आशीष अंदर कमरे में सो रहा था। आंगन में चारपाई पर मां किशन दुलारी का खून से सना शव पड़ा था। पास में ही खून लगा हथौड़ा और ईंट भी पड़ी थी। मुन्नूलाल ने आशीष के कमरे की कुंडी खोलकर उसे जगाया और पुलिस को सूचना दी। कोतवाल राजेश पाठक, ललऊखेड़ा चौकी इंचार्ज बृजमोहन सैनी मौके पर पहुंचे। बाद में एसपी सिद्धार्थशंकर मीना, एएसपी शशिशेखर ने भी पहुंचकर आशीष से जानकारी ली। कोतवाल राजेश पाठक ने बताया कि हत्यारोपी की तलाश में दो टीमें लगाई गई हैं।

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किशनदुलारी का सबसे बड़ा बेटा रामगोपाल मंदबुद्धि है। वह मां के काम में थोड़ा बहुत हाथ बंटाता था और मां ही उसकी देखभाल करती थी। भैंसों का दूध बेचकर वह जो भी रुपये बचाती थी, बेटे के नाम जमा करती थी ताकि उसके न होने पर मंदबुद्धि बेटे की परिवार के लोग सेवा करें। मां का खून में डूबा शव देख वह चीख पड़ा। लोगों ने जैसे-तैसे उसे शांत कराया।

मुन्नूलाल ने बताया कि माता पिता के विवाद के चलते दोनों अलग-अलग व्यापार करते थे। मां ने नौ भैंसें पाली थीं। दूध बेचकर खर्च चलाती थी। वहीं पिता घर के बाहर ही परचून की दुकान के अलावा चोकर-चूनी बेचने का काम करते थे। दोनों अपना-अपना खर्च चलाते थे। छोटा बेटा आशीष और बड़ा बेटा रामगोपाल मां की मदद करते थे।

चार बेटों में सबसे बड़ा रामगोपाल, उससे छोटा मुन्नूलाल, तीसरे नंबर का बेटा दिनेश और चौथा आशीष है। मुन्नूलाल और दिनेश का परिवार पास में ही बने दूसरे घर में रहता है। तीसरे नंबर का बेटा दिनेश कई साल से ओमान में में है। मुन्नूलाल ने बताया कि खाना एक ही घर में बनता है। सोने के लिए सभी अलग-अलग घर में चले जाते हैं।

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