[ad_1]
Gorakhpur News
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
गोरखपुर जिले में सैकड़ों अस्पताल मुन्ना भाई अपने जुगाड़ तंत्र से चला रहे हैं, जिनमें डॉक्टर अस्पताल में हैं ही नहीं और उनके नाम पर रजिस्ट्रेशन है। ये डॉक्टर किसी और शहर में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं और अपने नाम से रजिस्ट्रेशन के एवज में हर माह लाखों रुपये मुन्ना भाई से लेते हैं। इस बात का खुलासा भी हो चुका है।
इसके बाद भी मुन्ना भाई और एमबीबीएस डॉक्टरों का गठजोड़ फल-फूल रहा है। डॉक्टर मोटी कमाई के फेर में इस गठजोड़ का हिस्सा हैं। तारामंडल, गुलरिहा, खोवा मंडी और भटहट इलाके के 30 से 35 फीसदी अस्पताल इसी तरह चलाए जाने की चर्चा स्वास्थ्य विभाग में है।
कमीशन के खेल में सिस्टम फेल
इस खेल के एक अहम किरदार एंबुलेंस चालक भी हैं। अस्पताल में इलाज के लिए लाने पर मुन्ना भाई ने उनका कमीशन तय कर रखा है। एंबुलेंस चालक को मरीज के हिसाब से रुपये मिलते हैं। गंभीर सर्जरी वाले मरीजों का रेट सबसे अधिक है। ऐसे मरीज लाने पर एंबुलेंस चालकों को 15 से 20 हजार, छोटी सर्जरी वाले मरीजों के लिए 10 से 12 हजार और सामान्य मरीजों को लाने पर पांच से आठ हजार रुपये तय हैं।
इसके लिए एंबुलेंस चालक बिहार, पूर्वांचल के आसपास जिलों के कस्बों और ग्रामीण इलाकों के मरीजों को फांसते हैं। अच्छे इलाज का झांसा और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अधिक भीड़ दिखाकर मरीजों को निजी अस्पतालों में पहुंचा देते हैं।
[ad_2]
Source link