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-पक्षी विहार के व्याख्यान केंद्र में हुई गोष्ठी में सारस के महत्व की दी जानकारी
संवाद न्यूज एजेंसी
नवाबगंज। प्रदेश सरकार राज्य पक्षी सारस की गणना कराएगी। दो दिवसीय अभियान आज सोमवार से शुरू किया जा रहा है। इसे लेकर रविवार को नवाबगंज पक्षी विहार के व्याख्यान केंद्र में गोष्ठी का आयोजन किया गया। वन अधिकारियों ने लोगों को सारस की खासियत, महत्व आदि की जानकारी दी।
चंद्रशेखर आजाद पक्षी विहार के व्याख्यान केंद्र में सारस गणना गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें पहुंचे लोगों को रेंजर विवेक सिंह ने बताया कि सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है। प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले सारस का उल्लेख रामायण काल में भी मिलता है। इससे सारस पक्षी और भी विशेष हो जाता है। बताया कि आमतौर पर सारस भारत के अलावा दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है। भारत में इसकी आबादी सबसे ज्यादा है। सारस उत्तर प्रदेश के अलावा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार में आमतौर पर (वेटलैंड्स) दलदली भूमि में पाए जाते हैं।
इनका घोसला छिछले पानी के पास झाड़ियों और घास में पाया जाता है। सारस आमतौर पर दो से पांच के समूह में रहते हैं। यह सर्वाहारी होने के साथ ही दो सौ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरते हैं। सारस रामायण काल में महर्षि वाल्मीकि की कथा में भी वर्णित है। गोष्ठी का उद्देश्य गणना के माध्यम से राज्य पक्षी सारस को संरक्षित करने का है। बताया कि सोमवार को पक्षीविहार में सारस गणना कार्यक्रम होगा। जिसमें लखनऊ के उच्चाधिकारी भी शिरकत करेंगे। रेंजर ने प्रशिक्षुओं को पक्षीविहार झील क्षेत्र में भ्रमण कराया और विचरण करने वाले पक्षियों व उनके रहन सहन भोजन आदि की जानकारी दी। डिप्टी रेंजर विवेक वर्मा व आदित्य सिंह चौहान ने प्रशिक्षुओं को कैप व टीशर्ट भी भेंट की। इस दौरान कराटे कोच अजय सिंह और प्रशिक्षुओं में प्रिया, हंसिका, अजीत कुमार, सतेंद्र, सुजीत, सोनू, रामबली, मोहित, अवधेश, सौरभ गुप्ता भी मौजूद रहे।
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