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सार
यूक्रेन में फंसे भारतीय बता रहे हैं कि वहां युद्ध के हालात में उन्हे किस तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
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विस्तार
माइनस 5 डिग्री तापमान में कतार लगाए खड़े हैं छात्र
एटा : जकापर्तिया से छात्रों का निकलना शुरू हो गया है। हालांकि डेनिपर के छात्रों को अभी जानकारी नहीं दी गई है। यहीं एटा के छात्रों की संख्या अधिक है। डेनिपर में हॉस्टल में रह रहे अर्पित शाक्य ने बताया कि बड़ी संख्या में हॉस्टल से छात्र पोलैंड बॉर्डर पर पहुंच गए हैं। कोई वाहन से तो कोई 30-40 किमी चलकर पहुंचा। वहां से फ्लाइट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन, वहां इतनी भीड़ है कि नंबर नहीं आ पा रहा है। शुक्रवार रात में माइनस 5 डिग्री तापमान में छात्र खड़े रहे, जिससे कई की तबीयत बिगड़ गई है।
दूतावास में नहीं उठ रहा फोन, खाने की व्यवस्था नहीं
हाथरस : यूक्रेन में रह रहे कस्बे के कुछ छात्रों ने वहां के हालातों को लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है। इसे देखने के बाद छात्रों के परिजनों की बेचैनी और बढ़ गई है। वीडियो में छात्र कह रहे हैं कि वह पोलैंड सीमा तक तो पहुंच गए हैं, लेकिन खाने-पीने की व्यवस्था नहीं है। कुछ की सेहत खराब हो रही है, उनके लिए दवाओं का इंतजाम नहीं है। भारतीय दूतावास में फोन नहीं उठ रहा। वहीं, कुछ छात्र-छात्राएं ऐसे इलाके में फंसे हैं, जहां से वह उनके परिजनों से संपर्क भी नहीं कर पा रहे हैं।
4-6 चम्मच चावल और बिस्किट से चलाया काम
कासगंज : यूक्रेन में फंसे जिले के सात छात्र भूख, प्यास व अन्य जरूरतों को लेकर परेशान हैं। दूतावास का कहना है कि जहां भी हैं वहीं रहें। ऐसी स्थिति में बच्चों को कहीं से राहत की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही। कीव में फंसे एमबीबीएस के छात्र शोभित माहेश्वरी के पिता राजकुमार माहेश्वरी ने बताया कि बच्चे भूख-प्यास से परेशान हैं। कल 4-6 चम्मच चावल व बिस्किट खाकर काम चलाया।
छात्रों से वसूले जा रहे चार गुना दाम
सहारनपुर : शहर के मोहल्ला अहमदबाग निवासी आदित्य राणा पुत्र सियाराम शुक्रवार की देर रात यूक्रेन से सकुशल अपने घर पहुंचे। उन्होंने कहा, मैं खुशनसीब हूं, जो समय से घर लौट आया हूं, लेकिन मेरे कई दोस्त यूक्रेन में फंसे हैं। मेरा भांजा भी यूक्रेन में ही फंसा है, जो हंगरी के रास्ते भारत लौटने की जद्दोजहद में जुटा है। आदित्य बताते हैं कि उनकी अपने भांजे व दोस्त से लगातार फोन पर बात हो रही है, जो बता रहे हैं कि खाने-पीने, टैक्सी और बस आदि से एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए चार गुना ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं।
प्रशांत द्विवेदी की दास्तान : हाथों में तिरंगा देख रूसी सैनिकों ने सैल्यूट किया और चले गए
मेरे साथ ही सैकड़ों छात्र रोमानिया की ओर बढ़ रहे थे, तभी रूसी सैनिक वहां से गुजरे। उन्हें देखकर हम दहशत में आ गए। लेकिन हमारे हाथों में तिरंगा देखा तो सैल्यूट कर आगे बढ़ गए… यूक्रेन में फंसे श्यामनगर निवासी प्रशांत सिंह ने जब यह वाकया अपने पिता को सुनाया तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया। साथ ही वे पूरी तरह आश्वस्त हैं कि तिरंगे की शरण में उनका बेटा सकुशल लौटेगा। प्रशांत के पिता नाहर सिंह पीएसी में हैं। प्रशांत ने उन्हें बताया कि शनिवार को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सभी छात्रों को बसों में बैठाकर रोमानिया देश की सीमा से करीब आठ किमी दूर छुड़वा दिया।
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