[ad_1]
सार
यूक्रेन में फंसे आगरा की दो छात्राएं और एक छात्र घर वापस आए गए हैं। लेकिन छात्रा राशि गुप्ता शनिवार शाम चार बजे से यूक्रेन में पोलैंड की सीमा पर फंसी हुई है। उसकी मां का रो-रोकर बुरा हाल है।
आगरा के मारुति एस्टेट के पास पुष्प पुनीत विला निवासी मेडिकल छात्रा राशि गुप्ता शनिवार शाम चार बजे से यूक्रेन में पोलैंड की सीमा पर फंसी हुई है। उसे पोलैंड में प्रवेश से रोक दिया गया है। हंगरी जाने के लिए कहा जा रहा है। उसके पास पैसे भी नहीं हैं। कुछ खाने का इंतजाम नहीं है। राशि गुप्ता की मां अंजू गुप्ता का रो-रो कर बुरा हाल है। रविवार को 18 घंटे बाद बेटी से बात हो पाई। उन्होंने चिंता में पूरे दिन कुछ खाया भी नहीं। बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ. मीरा अग्रवाल ने उन्हें ढांढस बधाया।
अंजू गुप्ता ने बताया कि बेटी ने शनिवार की रात माइनस पांच डिग्री सेल्सियस पारे में सड़क पर ही अलाव जलाकर गुजारी। उसके पास अतिरिक्त कपड़े भी नहीं हैं। जरूरी सामान ही बैग में रखकर छात्र-छात्राएं देश लौटने का प्रयास कर रहे हैं। ठंड से बचने के लिए कंबल तक नहीं मिल पा रहे हैं। एटीएम खाली होने से पैसे भी नहीं मिल पा रहे हैं। खाने-पीने की चीजें भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। राशि की मां अंजू गुप्ता और पिता राजीव गुप्ता ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। इनका कहना है कि दूतावास से भी बेटी को मदद नहीं मिल पा रही है। वह बहुत परेशान हैं।
छात्रा साक्षी यूक्रेन से लौटी
यूक्रेन में फंसी साक्षी पहली छात्रा है जो आगरा लौटी है। यूक्रेन के उजरेत शहर में स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा 20 वर्षीय साक्षी ने अमर उजाला को बताया कि भारतीय होने के क्या मायने हैं ये मुझे यूक्रेन में पता चला। जहां तिरंगा हमारी ढाल बना। मैंने राष्ट्रीय ध्वज का वास्तविक महत्व समझा। जितना सम्मान भारतीय होने पर यहां नहीं मिलता उससे अधिक मुझे युद्धग्रस्त यूक्रेन में महसूस हुआ। जब भारतीय होने के कारण हमें विशेष महत्व मिला।
‘पापा, पौलेंड आ गया हूं, बॉर्डर पर लंबी लाइनें हैं’
अवधपुरी निवासी डॉ. गुलाब सिंह ने बताया कि उनके बेटा रजत सिनसिनवार एडेसा मेडिकल यूनिवर्सिटी यूक्रेन में डॉक्टरी पढ़ रहा है। फोन पर बताया कि वह पौलेंड पहुंच गया है। यहां बॉर्डर पर लंबी लाइन लगी हुई है। शाम को एयरपोर्ट तक पहुंच गया है। तिरंगा साथ होने से रूसी सैनिक भी मदद कर रहे हैं। दिल्ली के हेल्प लाइन नंबर पर बात की, जिस पर बताया कि पौलेंड से भी छात्र एयरलिफ्ट किए जा रहे हैं। बेटे की चिंता सता रही है।
‘दोस्तों के साथ बंकर में हूं, बाहर बमबारी हो रही है’
सिकंदरा के विमल विहार के धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि उनका बेटा हार्दिक कुमार सिंह बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी कीव में एमबीबीएस कर रहा है। वह अपने दोस्तों के साथ हॉस्टल के बेसमेंट के बंकर में हैं। माइनस तीन डिग्री सेल्सियस तापमान है और खाने-पीने का सामान भी थोड़ा सा ही है। बेटे ने बताया कि बाहर बमबारी हो रही है। धमाकों और फाइटर प्लेन की आवाजों से दहशत में हैं। फोन रिचार्ज भी नहीं हो पा रहे हैं।
विस्तार
आगरा के मारुति एस्टेट के पास पुष्प पुनीत विला निवासी मेडिकल छात्रा राशि गुप्ता शनिवार शाम चार बजे से यूक्रेन में पोलैंड की सीमा पर फंसी हुई है। उसे पोलैंड में प्रवेश से रोक दिया गया है। हंगरी जाने के लिए कहा जा रहा है। उसके पास पैसे भी नहीं हैं। कुछ खाने का इंतजाम नहीं है। राशि गुप्ता की मां अंजू गुप्ता का रो-रो कर बुरा हाल है। रविवार को 18 घंटे बाद बेटी से बात हो पाई। उन्होंने चिंता में पूरे दिन कुछ खाया भी नहीं। बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ. मीरा अग्रवाल ने उन्हें ढांढस बधाया।
अंजू गुप्ता ने बताया कि बेटी ने शनिवार की रात माइनस पांच डिग्री सेल्सियस पारे में सड़क पर ही अलाव जलाकर गुजारी। उसके पास अतिरिक्त कपड़े भी नहीं हैं। जरूरी सामान ही बैग में रखकर छात्र-छात्राएं देश लौटने का प्रयास कर रहे हैं। ठंड से बचने के लिए कंबल तक नहीं मिल पा रहे हैं। एटीएम खाली होने से पैसे भी नहीं मिल पा रहे हैं। खाने-पीने की चीजें भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। राशि की मां अंजू गुप्ता और पिता राजीव गुप्ता ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। इनका कहना है कि दूतावास से भी बेटी को मदद नहीं मिल पा रही है। वह बहुत परेशान हैं।
छात्रा साक्षी यूक्रेन से लौटी
यूक्रेन में फंसी साक्षी पहली छात्रा है जो आगरा लौटी है। यूक्रेन के उजरेत शहर में स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा 20 वर्षीय साक्षी ने अमर उजाला को बताया कि भारतीय होने के क्या मायने हैं ये मुझे यूक्रेन में पता चला। जहां तिरंगा हमारी ढाल बना। मैंने राष्ट्रीय ध्वज का वास्तविक महत्व समझा। जितना सम्मान भारतीय होने पर यहां नहीं मिलता उससे अधिक मुझे युद्धग्रस्त यूक्रेन में महसूस हुआ। जब भारतीय होने के कारण हमें विशेष महत्व मिला।
[ad_2]
Source link