देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों की हवा में जहर घुल चुका है। प्रदूषण से लड़ने की तैयारियों के तमाम दावे और इंतजाम धरे के धरे रह गए हैं। चारों तरफ जहरीली धुंध की चादर फैली हुई है। दिन प्रतिदिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर एंटी स्मॉग गन तैनात हैं, लेकिन वह केवल दिखावा बन चुकी हैं। आंखों में जलन से हर कोई परेशान है।
शनिवार सुबह आये आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर 286 पहुंच गया। इसके साथ ही नोएडा में भी ।फप् 255 दर्ज किया गया। वहीं हरियाणा के गुरुग्राम में फिलहाल कुछ कम प्रदूषण है। यहां। क्यूआई का स्तर 200 पहुंच गया है, लेकिन जानकर बताते हैं कि अभी तो यह शुरुआत है। दिवाली पास आते-आते हवा का स्तर और भी बिगड़ेगा। जानकारों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर की हवा को सबसे ज्यादा नुकसान पटाखे और हरियाणा-पंजाब में जलाई जाने वाली पराली से हो रहा है।
ऐसा नहीं है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण कम करने के प्रयास नहीं कर रही है, लेकिन उसके प्रयास नाकाफी होते हुए दिख रहे हैं। सरकार ने कई जगहों पर श्रेड लाइट ऑन इंजन ऑफश् कार्यक्रम भी शुरू कर दिया है, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान भी नहीं है। इसके अलावा सरकारों और प्राधिकरणों ने जगह-जगह पर पानी के छिडकाव के लिए स्मॉग गन भी लगवाई हैं। इसके साथ ही कई चलित स्मॉग गन भी काम कर रही हैं, लेकिन प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
वहीं दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते बीच कई एजेंसियों ने इससे प्रदूषण से जुड़ा डाटा देना ही बंद कर दिया है। जानकारी के अनुसार, दिल्ली सरकार और राज्य के अधिकारियों के बीच चल रही लडाई के कारण आईआईटी-कानपुर की ओर से वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन 18 अक्टूबर से रुका हुआ है। उधर, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत दो अन्य एजेंसियों ने भी प्रदूषण के स्रोतों पर जानकारी साझा करना बंद कर दिया है।