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औरास (संवाद)। यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसी औरास के दिपवल गांव की ह्रिति शुक्रवार को सकुशल वतन लौट आईं। उन्होंने कहा कि हर पल मौत को सामने से देखा। लखनऊ में अपनों को देखकर उसकी आंखें नम हो गईं। माता-पिता ने उनका स्वागत किया।
दिपवल गांव निवासी जितेंद्र सिंह वर्तमान में लखनऊ में जानकीपुरम में रहते हैं। उनकी बड़ी बेटी ह्रिति सिंह (22) यूक्रेन के खारकीव शहर में वीएन कारजिन मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमडी की पढ़ाई कर रही थी। ह्रिति ने बताया कि फायरिंग और धमाकों के बीच हर पल मौत को सामने देखा। मंगलवार को उसे 40 अन्य छात्रों के साथ स्पेशल ट्रेन से खारकीव से कीव के लिए निकाला गया। 24 घंटे बाद कीव पहुंचीं और बुधवार को वह और सभी छात्र नौ घंटे सफर करके पोलैंड पहुंचे। भीषण जाम के कारण पोलैंड की सीमा पर आठ घंटे रुकना पड़ा। गुरुवार रात उसे भारत के लिए एयरलिफ्ट कराया गया। शुक्रवार सुबह 11:50 बजे दिल्ली में फ्लाइट से उतरने पर उसके ममेरे भाई तन्मय सिंह ने रिसीव किया। कुछ समय रुकने के बाद 3:40 बजे उसने लखनऊ के लिए उड़ान भरी। शाम छह बजे लखनऊ में कदम रखते ही उसके माता-पिता, बहन व पारिवारिक सदस्यों ने उसका स्वागत किया।
वतन वापसी की राह पर श्रुति
पुरवा। पश्चिम टोला निवासी छात्रा श्रुति भी वतन वापसी की राह पर हैं। दादी सी कुट्टी को भेजे गए संदेश में शुक्रवार दोपहर 12 बजे हंगरी राज्य के बुडापेस्ट पहुंचने की जानकारी दी। बताया कि यहां पर स्वास्थ्य परीक्षण होने के बाद रवाना किया जाएगा। शुक्रवार को भी नायब तहसीलदार अमृतलाल ने श्रुति की दादी से मुलाकात कर हालचाल लिया। (संवाद)
माइनस छह डिग्री में खुले में गुजारे दो दिन
उन्नाव। शहर के कब्बाखेड़ा निवासी फौजी धर्मेंद्र यादव के बेटे विशाल यादव भी शुक्रवार देर शाम घर वापस आए गए। उन्हें सकुशल देखकर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। विशाल ने बताया कि रोमानिया सीमा पर खुले में माइनस छह डिग्री तापमान में दो दिन गुजारने पड़े। दो मार्च को विशाल रोमानिया में दाखिल हुए और फिर भारत जाने की व्यवस्था हुई।
विशाल यादव यूक्रेन के चर्निविस्की शहर में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। फरवरी में उनका प्रवेश हुआ था। विशाल वहां का माहौल समझ पाता, इससे पहले रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। कालेज प्रबंधन ने सभी छात्रों को हास्टल के बंकर में रहने का निर्देश दिया। 26 फरवरी को चर्निविस्की शहर छोड़ने का निर्देश दिया गया। इस पर कालेज के छात्र संगठन ने मिलकर सभी को रोमानिया सीमा पर पहुंचाने की व्यवस्था की। 27 फरवरी को बस से 60 साथियों के साथ विशाल रोमानिया सीमा पहुंच गए। दो दिन तक उसे रोमानिया सीमा पर रहना पड़ा। अब घर आकर वह खुश हैं। विशाल ने बताया कि कालेज प्रबंधन ने 10 मार्च से ऑनलाइन क्लास शुरू करने का आश्वासन दिया है।
लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट पर बेटी को बुके देकर स्वागत करते पिता जितेंद्र। संवाद– फोटो : UNNAO
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