उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे गुरुवार को घोषित हो रहे हैं। जनता से किसे चुना और किसे सबक सिखाया? धीरे-धीरे सामने आने लगा है। उन दागी उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला भी हो रहा है, जिन पर राजनीतिक पार्टियों ने दांव खेला था। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दागी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा गया। पंजाब और मणिपुर में कुछ उम्मीदवारों पर कई मामले दर्ज हैं। हालांकि, उत्तराखंड और गोवा में ज्यादातर उम्मीदवारों पर दर्ज केस दहाई आंकड़े से भी कम हैं। ऐसे में अमर उजाला आपको बता रहा है पांचों राज्यों के उन 15 उम्मीदवारों के बारे में जिन पर सबसे ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं।
1. आजम खान
समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान पर सबसे ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। रामपुर से सांसद आजम खान को पार्टी ने इस विधानसभा चुनाव में रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा। इससे पहले 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी आजम खान को जीत हासिल हुई थी। इस वक्त उन्होंने भाजपा के शिव बहादुर सक्सेना को एक लाख से ज्यादा वोट से हराया था।
2. मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान
मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान को सपा ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा। इनका मुकाबला बसपा के अध्यापक शंकर लाल, अपना दल (सोनेलाल) के हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां से था। अब्दुल्ला ने 2017 में भी 53 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी।
3. अतुल प्रधान
मेरठ की सरधना विधानसभा सीट से सपा ने अतुल प्रधान को टिकट दिया था। इन पर कुल 38 मामले दर्ज हैं। इनका मुकाबला भाजपा के संगीत सिंह सोम से था। इस मुकाबले में भाजपा के संगीत सोम हार गए हैं। संगीत सोम इससे पहले दो बार यहां से चुनाव जीते थे, जबकि अतुल प्रधान दो बार चुनाव हारे थे। सरधना सीट पर ऐसा पहली बार हुआ है, जब सपा का कोई प्रत्याशी जीता है। हार जीत का अंतर करीब 18000 वोटों का है। हालांकि, अभी आधिकारिक घोषणा होनी बाकी है।
4. संदीप यादव
प्रयागराज की इलाहाबाद उत्तर सीट से सपा ने इस बार संदीप यादव को उम्मीदवार बनाया था। इससे पहले 2017 में इस सीट से भाजपा के हर्षवर्द्धन वाजपेई को जीत हासिल हुई थी। उन्हें कुल 1.72 लाख वोट हासिल हुए थे।