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चार राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा के हाथ गुलाल तो सपा, बसपा और कांग्रेस को मलाल हाथ लगा। बृहस्पतिवार को ईवीएम खुलीं तो यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा गठबंधन ने न सिर्फ 273 सीटें जीतीं, बल्कि ऐतिहासिक जीत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हाने का रिकॉर्ड भी रच दिया। सपा-रालोद गठबंधन को सीटें भले 125 मिलीं लेकिन भाजपा के लिए वे कोई चुनौती नहीं बन सके। बसपा और कांग्रेस की तो दुर्गति हो गई। बसपा को एक और कांग्रेस को दो सीटें मिलीं हैं। वहीं, यूपी में मतदाताओं द्वारा ‘इनमें से कोई नहीं’ यानी नोटा का विकल्प चुनना कई सीटों के परिणाम पर बड़ा असर डालने वाला साबित हुआ। कम अंतर से जीती गई सीटों पर यह असर सबसे दिखा। पढ़िए ऐसी ही कुछ सीटों के बारे में जहां मतदाताओं ने अगर नोटा न चुना होता तो शायद प्रत्याशियों के चुनाव परिणाम ही बदल सकते थे।
बड़ौत (बागपत) : भाजपा के कृष्णपाल मलिक ने रालोद के जयवीर को 315 वोटों से हराया। यहां नोटा पर 579 वोट डले। कांग्रेस के राहुल कुमार को 1,849 और आप के सुधीर को 709 वोट मिले।
चांदपुर (बिजनौर) : सपा के स्वामी ओमवेश ने भाजपा के कमलेश सैनी को 234 वोट से हराया। नोटा पर 854 वोट पड़े। एआईएमआई ने 1,586 वोट पाए तो आआपा ने 364।
छिबरामऊ (कन्नौज) : भाजपा की अर्चना पांडेय सपा के अरविंद सिंह यादव से महज 1,111 वोट ज्यादा लेकर जीतीं। यहां भी नोटा में 1775 वोट पड़े।
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