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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 12 Mar 2022 08:15 AM IST
सार
कोर्ट ने अपने आदेश में आर्थिक क्षति और गैर आर्थिक क्षति को भी परिभाषित किया। कहा कि आर्थिक क्षति वह है जो पीड़ित ने वास्तव में किए हैं। जिसकी गणना पैसे के रूप में की जा सकती है। जबकि गैर आर्थिक क्षति वे हैं जो अंकगणितीय गणनाओं द्वारा मूल्यांकन करने में असमर्थ हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 साल पुराने दुर्घटना मामले में मुरादाबाद मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के आदेश को संशोधित कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि न्यायाधिकरणों को किसी दुर्घटना के शिकार को देय मुआवजे की राशि तय करते समय नुकसान का आकलन अलग से आर्थिक क्षति और विशेष नुकसान के रूप करना चाहिए।
यह आदेश न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने प्रभात कुमार व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में आर्थिक क्षति और गैर आर्थिक क्षति को भी परिभाषित किया। कहा कि आर्थिक क्षति वह है जो पीड़ित ने वास्तव में किए हैं। जिसकी गणना पैसे के रूप में की जा सकती है। जबकि गैर आर्थिक क्षति वे हैं जो अंकगणितीय गणनाओं द्वारा मूल्यांकन करने में असमर्थ हैं।
निर्धारित मुआवजे की रकम को कोर्ट ने बढ़ाया
कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ ही याची के मामले में मुरादाबाद मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के द्वारा आदेश के जरिए निर्धारित की गई मुआवजे की रकम को बढ़ा दी। न्यायाधिकरण ने याची को मुआवजे के तौर पर 55 हजार, 363 रुपये देने का आदेश दिया था। कहा था कि बीमा कंपनी को मुआवजे की रकम छह फीसदी की दर से याची को दावा याचिका दाखिल करने के दिन से देना होगा।
कोर्ट में याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची की उम्र 16 साल थी और उसका उपचार एम्स दिल्ली में हुआ। दुर्घटना में उसकी किडनी खराब हो गई और उपचार में अधिक पैसा खर्च हुआ। न्यायाधिकरण ने जो अवार्ड घोषित किया वह कम है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के हवाले से न्यायाधिकरण केअवार्ड को संशोधित कर दिया। कोर्ट ने चार लाख, 42 हजार, 160 रुपये साढ़े सात फीसदी ब्याज की दर से अदा करने का आदेश दिया।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 साल पुराने दुर्घटना मामले में मुरादाबाद मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के आदेश को संशोधित कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि न्यायाधिकरणों को किसी दुर्घटना के शिकार को देय मुआवजे की राशि तय करते समय नुकसान का आकलन अलग से आर्थिक क्षति और विशेष नुकसान के रूप करना चाहिए।
यह आदेश न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने प्रभात कुमार व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में आर्थिक क्षति और गैर आर्थिक क्षति को भी परिभाषित किया। कहा कि आर्थिक क्षति वह है जो पीड़ित ने वास्तव में किए हैं। जिसकी गणना पैसे के रूप में की जा सकती है। जबकि गैर आर्थिक क्षति वे हैं जो अंकगणितीय गणनाओं द्वारा मूल्यांकन करने में असमर्थ हैं।
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