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उन्नाव। बदलता मौसम लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है। जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती डायरिया पीड़ित मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई। चार की हालत गंभीर है। सोमवार को जिला अस्तपाल की ओपीडी में 837 मरीज पहुंचे। इसमें उल्टी, दस्त, खांसी, जुकाम व बुखार के 360 मरीज शामिल हैं।
सफीपुर कस्बा निवासी गंगाचरन (49) को उल्टी दस्त के साथ सांस लेने में दिक्कत होने पर परिजनों ने सोमवार सुबह जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया था। दोपहर करीब एक बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। वहीं इमरजेंसी वार्ड में सिविल लाइन निवासी डायरिया पीड़ित मनोज (40), एबीनगर की सानिया (64), इसी मोहल्ले के इदरीश (40) व हुसैननगर की सोनी (32) पत्नी राजेंद्र का इलाज चल रहा है। होली के कारण 18,19 व 20 मार्च को ओपीडी पूरी तरह से बंद थी। सिर्फ इमरजेंसी संचालित हो रही थी।
तीन दिन बाद पूरी तरह से सोमवार को ओपीडी संचालित होने से मरीजों की भीड़ उमड़ी। सुबह आठ बजे से ही मरीज अस्पताल पहुंचना शुरू हो गए। एक घंटे में पर्चा काउंटर पर मरीजों की लंबी लाइन लग गई। स्थिति यह थी कि सबसे पीछे लाइन में लगे मरीज का नंबर दोपहर एक बजे तक आया। ओपीडी में फीजीशियन डॉ. कौशलेंद्र प्रकाश ने 159, हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. एसके पांडेय ने 148, दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. अहमद अली ने 40, सीनियर फीजीशियन डॉ. आलोक पांडेय ने 200, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित श्रीवास्तव ने 97 व बच्चों के ही डॉ. बृजकुमार व आरके चौरसिया ने 193 मरीजों को देखा। पैथोलॉजी में 120 मरीजों की जांच हुई।
सीएमएस डॉ. पवन कुमार ने बताया कि डायरिया दो तरह का होता है। एक्यूट और क्रानिक। एक्यूट डायरिया जीवाणु विषाणु या पैरासाइट के कारण होता है। यह हफ्ते भर में ठीक हो जाता है, लेकिन जब बीमारी हफ्ते भर से ज्यादा रह जाए तो उसे क्रानिक कहा जाता है। क्रानिक डायरिया आंत की विभिन्न बीमारियों के कारण हो सकता है। इसमें पाचन तंत्र की गंभीर गड़बड़ी पाई जाती है।
यह होते हैं कारण
– खाना बासी या खराब होना।
– बच्चों में डायरिया की बड़ी वजह स्तनपान के दौरान सफाई न होना।
– बाहर का खाना, फास्ट फूड पैकिंग का इस्तेमाल।
– कटे और खुले में रखे फल।
– एसी, कूलर वाले कमरे से सीधे धूप में निकलना।
– धूप से लौटकर आते ही तत्काल पानी पीना
ऐसे करें बचाव
– साफ पानी पीयें।
– शरीर में पानी की कमी न होने दें।
– बाहर का खाना और फास्ट फूड के सेवन से बचें।
– साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
– हल्की सी परेशानी होते ही डॉक्टर को दिखाएं
उन्नाव। बदलता मौसम लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है। जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती डायरिया पीड़ित मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई। चार की हालत गंभीर है। सोमवार को जिला अस्तपाल की ओपीडी में 837 मरीज पहुंचे। इसमें उल्टी, दस्त, खांसी, जुकाम व बुखार के 360 मरीज शामिल हैं।
सफीपुर कस्बा निवासी गंगाचरन (49) को उल्टी दस्त के साथ सांस लेने में दिक्कत होने पर परिजनों ने सोमवार सुबह जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया था। दोपहर करीब एक बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। वहीं इमरजेंसी वार्ड में सिविल लाइन निवासी डायरिया पीड़ित मनोज (40), एबीनगर की सानिया (64), इसी मोहल्ले के इदरीश (40) व हुसैननगर की सोनी (32) पत्नी राजेंद्र का इलाज चल रहा है। होली के कारण 18,19 व 20 मार्च को ओपीडी पूरी तरह से बंद थी। सिर्फ इमरजेंसी संचालित हो रही थी।
तीन दिन बाद पूरी तरह से सोमवार को ओपीडी संचालित होने से मरीजों की भीड़ उमड़ी। सुबह आठ बजे से ही मरीज अस्पताल पहुंचना शुरू हो गए। एक घंटे में पर्चा काउंटर पर मरीजों की लंबी लाइन लग गई। स्थिति यह थी कि सबसे पीछे लाइन में लगे मरीज का नंबर दोपहर एक बजे तक आया। ओपीडी में फीजीशियन डॉ. कौशलेंद्र प्रकाश ने 159, हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. एसके पांडेय ने 148, दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. अहमद अली ने 40, सीनियर फीजीशियन डॉ. आलोक पांडेय ने 200, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित श्रीवास्तव ने 97 व बच्चों के ही डॉ. बृजकुमार व आरके चौरसिया ने 193 मरीजों को देखा। पैथोलॉजी में 120 मरीजों की जांच हुई।
सीएमएस डॉ. पवन कुमार ने बताया कि डायरिया दो तरह का होता है। एक्यूट और क्रानिक। एक्यूट डायरिया जीवाणु विषाणु या पैरासाइट के कारण होता है। यह हफ्ते भर में ठीक हो जाता है, लेकिन जब बीमारी हफ्ते भर से ज्यादा रह जाए तो उसे क्रानिक कहा जाता है। क्रानिक डायरिया आंत की विभिन्न बीमारियों के कारण हो सकता है। इसमें पाचन तंत्र की गंभीर गड़बड़ी पाई जाती है।
यह होते हैं कारण
– खाना बासी या खराब होना।
– बच्चों में डायरिया की बड़ी वजह स्तनपान के दौरान सफाई न होना।
– बाहर का खाना, फास्ट फूड पैकिंग का इस्तेमाल।
– कटे और खुले में रखे फल।
– एसी, कूलर वाले कमरे से सीधे धूप में निकलना।
– धूप से लौटकर आते ही तत्काल पानी पीना
ऐसे करें बचाव
– साफ पानी पीयें।
– शरीर में पानी की कमी न होने दें।
– बाहर का खाना और फास्ट फूड के सेवन से बचें।
– साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
– हल्की सी परेशानी होते ही डॉक्टर को दिखाएं
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