आगरा से फतेहपुर सीकरी जाने वाले मार्ग पर कैली देवी माता के भक्त उमड़ पड़े हैं। हर कदम पर मैया के जयघोष के साथ शक्ति के आराधक करौली के लिए बढ़ रहे हैं। दो साल से कोरोना काल में पदयात्रा बंद रही तो इस बार जोश दोगुना है। लोग परिवार के साथ जा रहे हैं। दोस्तों के जत्थे हैं। आधुनिक काल के श्रवण मां-बाप या परिवार के बुजुर्गों को दर्शन कराने ले जा रहे हैं।
दो अप्रैल से नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। ऐसे में करौली में कैला देवी के दर्शन के लिए आगरा ही नहीं मैनपुरी, जलेसर, फिरोजाबाद, खंदौली, एत्मादपुर से श्रद्धालुओं ने पदयात्रा शुरू कर दी है। शाहगंज में भोगीपुरा से पदयात्रियों के समूहों की संख्या बढ़ने लगती है। भोगीपुरा से पथौली के करीब चार किलोमीटर लंबे रास्ते में रविवार को श्रद्धालुओं की एक के बाद एक जत्था मिला। मानव श्रंखला सी बनी दिखी। कैला मैया के जयघोष और लांगुरिया गाते हुए लोग आगे बढ़ रहे थे। कुछ लोग के साथ दुधमुंहे बच्चे भी थे।
फतेहपुर सीकरी मार्ग पर पदयात्रियों के स्वागत और सेवा के लिए रास्ते भर में जगह-जगह लोगों ने स्टॉल सजाए हुए हैं। किसी स्टॉल पर शर्बत तो किसी पर हलुआ, चने और भोजन की व्यवस्था है। सुस्ताने के लिए टेंट भी लगाए गए हैं।
हाथों में तिरंगा और होठों पर जय माता दी
शिकोहाबाद के युवाओं का समूह हाथों में तिरंगा लेकर जय माता के उद्घोष करते हुए बढ़ रहा था। बोले कि तिरंगा हमारी शान है, इसे साथ ले जाने में बुराई भी क्या है। मैया का झंडा भी साथ लाए हैं।
मां को रिक्शे पर लेकर निकला
नरीपुरा निवासी शंकर अपनी मां लीलावती को रिक्शे पर कैला देवी के दर्शन कराने ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मां चल नहीं पाएगी, इसलिए उसने रिक्शा किराये पर लिया है। खुद चलाकर ले जा रहा है।
जलेसर के कुवेंद्र भी मां व चाची के साथ निकले
जलेसर निवासी कुवेंद्र सिंह अपनी मां गीता देवी और चाची माया देवी को लेकर पैदल ही यात्रा पर निकले हैं। उन्होंने बताया कि मां काफी बुजुर्ग है, लेकिन वह पैदल जाने की जिद पर अड़ी थीं। चाची भी जाना चाहती थीं। बुजुर्गों की मदद के लिए साथ जा रहे हैं।