[ad_1]
ख़बर सुनें
उन्नाव। इबादत का खास महीना रमजान शनिवार को चांद दिखने के साथ शुरू हो गया। लोगों ने चांद का दीदार किया और एक दूसरे को माहे रमजान की बधाई दी।
शनिवार शाम छह के बाद जब चांद दिखा तो खासकर बच्चे बहुत खुश नजर आए। रविवार को पहला रोजा होगा। रमजान में मुसलमान पूरे महीने रोजे रखते हैं। दिनभर भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं। साथ ही कुरान शरीफ का दौर तरावीह की खास नमाज में मुकम्मल किया जाता है। कोरोना संक्रमण कम होने से दो साल बाद मस्जिदों और मदरसों में तरावीह की नमाज के इंतजाम किए गए हैं। शहर काजी मौलाना निसार अहमद मिस्बाही ने बताया कि मुबारक महीने में इबादत का शवाब 70 गुना ज्यादा मिलता है।
खजूर पर दिखा महंगाई का असर
रमजान की तैयारियों को लेकर बाजारों में रौनक बढ़ गई। सूतफेनी, रस्क, खजूर, फल आदि की दुकानें सज गईं हैं। हालांकि महंगाई की मार खजूर पर भी है। खजूर 700 से 800 रुपये किलो बिक रहा है। सबसे अधिक दाम पैकेटबंद खजूर के हैं जो एक हजार रुपये किलो में बिक रहा है।
उन्नाव। इबादत का खास महीना रमजान शनिवार को चांद दिखने के साथ शुरू हो गया। लोगों ने चांद का दीदार किया और एक दूसरे को माहे रमजान की बधाई दी।
शनिवार शाम छह के बाद जब चांद दिखा तो खासकर बच्चे बहुत खुश नजर आए। रविवार को पहला रोजा होगा। रमजान में मुसलमान पूरे महीने रोजे रखते हैं। दिनभर भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं। साथ ही कुरान शरीफ का दौर तरावीह की खास नमाज में मुकम्मल किया जाता है। कोरोना संक्रमण कम होने से दो साल बाद मस्जिदों और मदरसों में तरावीह की नमाज के इंतजाम किए गए हैं। शहर काजी मौलाना निसार अहमद मिस्बाही ने बताया कि मुबारक महीने में इबादत का शवाब 70 गुना ज्यादा मिलता है।
खजूर पर दिखा महंगाई का असर
रमजान की तैयारियों को लेकर बाजारों में रौनक बढ़ गई। सूतफेनी, रस्क, खजूर, फल आदि की दुकानें सज गईं हैं। हालांकि महंगाई की मार खजूर पर भी है। खजूर 700 से 800 रुपये किलो बिक रहा है। सबसे अधिक दाम पैकेटबंद खजूर के हैं जो एक हजार रुपये किलो में बिक रहा है।
[ad_2]
Source link