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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 09 Apr 2022 01:02 AM IST
सार
याची ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 98(1) के तहत भूमिधरी अधिकारों के हस्तांतरण की अनुमति मांगी थी। प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जाति के भूमिधर को किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को अपनी भूमि हस्तांतरित करने की मांग करने से पहले कलेक्टर की अनुमति लेना एक शर्त है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई प्राधिकरण जिसे किसी कानून के तहत विवेकाधीन शक्तियां प्रदान की गयी हैं। वह उस कानून के उद्देश्य के लिए प्रासंगिक विचारों को नजरअंदाज करता है या ध्यान में नहीं रखता है तो उसकी कार्यवाही अमान्य मानी जाएगी। यह आदेश न्यायमूर्ति योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने मुजफ्फरनगर के सीताराम की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 98(1) के तहत भूमिधरी अधिकारों के हस्तांतरण की अनुमति मांगी थी। प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जाति के भूमिधर को किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को अपनी भूमि हस्तांतरित करने की मांग करने से पहले कलेक्टर की अनुमति लेना एक शर्त है। ऐसी अनुमति के अभाव में धारा 104 के अनुसार स्थानांतरण रद्द कर दिया जाएगा।
तथ्य के समर्थन में नहीं पेश किए गए सबूत
याची ने अपने मृत बेटे द्वारा छोड़े गए अपने पोते-पोतियों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए अपनी जमीन हस्तांतरित करने की मांग की। उनके आवेदन को राजस्व अधिकारियों की टीम द्वारा अनुमोदित किया गया था। जो दर्शाता है कि प्रासंगिक वैधानिक प्रावधान के तहत इस उद्देश्य के लिए निर्धारित शर्तों संतुष्ट हैं।
फिर भी कलेक्टर द्वारा आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि आवेदक ने उन परिस्थितियों का उल्लेख नहीं किया, जिनके तहत विचाराधीन भूमि खरीदी गई थी। उसने अपनी बीमारी आदि के तथ्य का समर्थन करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया था। कलेक्टर के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण भी खारिज कर दिया गया था। उसके बाद तत्काल कार्यवाही शुरू की गई थी।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई प्राधिकरण जिसे किसी कानून के तहत विवेकाधीन शक्तियां प्रदान की गयी हैं। वह उस कानून के उद्देश्य के लिए प्रासंगिक विचारों को नजरअंदाज करता है या ध्यान में नहीं रखता है तो उसकी कार्यवाही अमान्य मानी जाएगी। यह आदेश न्यायमूर्ति योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने मुजफ्फरनगर के सीताराम की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 98(1) के तहत भूमिधरी अधिकारों के हस्तांतरण की अनुमति मांगी थी। प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जाति के भूमिधर को किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को अपनी भूमि हस्तांतरित करने की मांग करने से पहले कलेक्टर की अनुमति लेना एक शर्त है। ऐसी अनुमति के अभाव में धारा 104 के अनुसार स्थानांतरण रद्द कर दिया जाएगा।
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