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उन्नाव। शनिवार को भी पारा 42 डिग्री रहा। सुबह से लू चलने से लोग बेहाल रहे। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले कुछ दिनाें में पारा 47 डिग्री तक पहुंच सकता है।
अप्रैल में पारा 40 पार होने से मौसम विशेषज्ञ भी अचरज में है। उनका कहना है कि कोई भी चक्रवात बंगाल की खाड़ी और उत्तराखंड के पहाड़ों पर असर नहीं दिखा रहा है। ऐसे में मैदानी भाग रेत जैसे गर्म हो गए हैं। दोपहर में सड़क पर निकलना मुश्किल है। गर्म हवा का झोंका शरीर को झुलसा रहा है। शनिवार को न्यूनतम तापमान भी 22 डिग्री रहा।
चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक अजय मिश्रा का कहना है कि इस साल ग्लोबल वार्मिंग का असर बहुत अधिक है। वहीं उप्र मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता का कहना है कि पश्चिम की हवा के साथ बंगाल की खाड़ी में कोई हलचल नहीं है। समुद्र में वाष्पीकरण की प्रक्रिया तेज है। जिससे मैदानी भागों में भीषण गर्मी पड़ रही है। आने वाले दिनों में मैदानी भागों में तापमान 46 से 47 डिग्री तक पहुंच सकता है।
उन्नाव। शनिवार को भी पारा 42 डिग्री रहा। सुबह से लू चलने से लोग बेहाल रहे। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले कुछ दिनाें में पारा 47 डिग्री तक पहुंच सकता है।
अप्रैल में पारा 40 पार होने से मौसम विशेषज्ञ भी अचरज में है। उनका कहना है कि कोई भी चक्रवात बंगाल की खाड़ी और उत्तराखंड के पहाड़ों पर असर नहीं दिखा रहा है। ऐसे में मैदानी भाग रेत जैसे गर्म हो गए हैं। दोपहर में सड़क पर निकलना मुश्किल है। गर्म हवा का झोंका शरीर को झुलसा रहा है। शनिवार को न्यूनतम तापमान भी 22 डिग्री रहा।
चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक अजय मिश्रा का कहना है कि इस साल ग्लोबल वार्मिंग का असर बहुत अधिक है। वहीं उप्र मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता का कहना है कि पश्चिम की हवा के साथ बंगाल की खाड़ी में कोई हलचल नहीं है। समुद्र में वाष्पीकरण की प्रक्रिया तेज है। जिससे मैदानी भागों में भीषण गर्मी पड़ रही है। आने वाले दिनों में मैदानी भागों में तापमान 46 से 47 डिग्री तक पहुंच सकता है।
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