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राजदीप जाखड़,अमर उजाला नेटवर्क, मेरठ
Published by: Dimple Sirohi
Updated Thu, 21 Apr 2022 11:21 AM IST
सार
काला नमक चावल का इतिहास 600 ईसा पूर्व या बुद्ध काल से है। प्राचीन काल में यह चावल मूल रूप से उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में उगाया जाता था। काला नमक चावल में इतनी सुगंध है कि अगर यह किसी एक घर में पके तो इसकी खुशबू पूरे मोहल्ले में पहुंच जाती है।
महात्मा गौतम बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में प्रसिद्ध काला नमक चावल को सिद्धार्थनगर जनपद में बड़ी पहचान दिलाने वाले मेरठ के जिलाधिकारी दीपक मीणा अब मेरठ में भी इसकी खेती की संभावनाएं तलाशेंगे।
सिद्धार्थनगर में डीएम रहते दीपक मीणा ने वहां के प्रसिद्ध काला नमक चावल को बड़ी पहचान दिलाई। उन्होंने किसानों को इसके लिए ऑनलाइन बाजार भी मुहैया कराया। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने काला नमक चावल को वर्ष 2018 में ओडीओपी में शामिल किया था।
काले रंग की भूसी के चलते इस चावल का नाम काला नमक चावल पड़ा है। इसे महात्मा गौतम बुद्ध का महाप्रसाद भी कहा जाता है। इस चावल का इतिहास 600 ईसा पूर्व या बुद्ध काल से है। प्राचीन काल में यह चावल मूल रूप से उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में उगाया जाता था। आज ये सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, गोरखपुर, महराजगंज, गोंडा, बस्ती और कुशीनगर में उगाया जाता है।
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सेहत के लिए फायदेमंद
इस चावल में आयरन और जिंक भरपूर होता है। विटामिन की भी कमी नहीं होने देता है। इसे ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने और खून से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में मददगार पाया गया है। इस चावल में एंथोसायनिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं।
घर में पके चावल तो पूरे मोहल्ले में सुगंध
काला नमक चावल में इतनी सुगंध है कि अगर यह किसी एक घर में पके तो इसकी खुशबू पूरे मोहल्ले में पहुंच जाती है। लोगों का कहना है कि महात्मा बुद्ध ने इस चावल को लोगों को दलदली जगह पर बोने के लिए प्रोत्साहित करते हुए हा था कि इसकी विशिष्ट सुगंध हमेशा लोगों को मेरी याद दिलाएगी।
विस्तार
महात्मा गौतम बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में प्रसिद्ध काला नमक चावल को सिद्धार्थनगर जनपद में बड़ी पहचान दिलाने वाले मेरठ के जिलाधिकारी दीपक मीणा अब मेरठ में भी इसकी खेती की संभावनाएं तलाशेंगे।
सिद्धार्थनगर में डीएम रहते दीपक मीणा ने वहां के प्रसिद्ध काला नमक चावल को बड़ी पहचान दिलाई। उन्होंने किसानों को इसके लिए ऑनलाइन बाजार भी मुहैया कराया। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने काला नमक चावल को वर्ष 2018 में ओडीओपी में शामिल किया था।
काले रंग की भूसी के चलते इस चावल का नाम काला नमक चावल पड़ा है। इसे महात्मा गौतम बुद्ध का महाप्रसाद भी कहा जाता है। इस चावल का इतिहास 600 ईसा पूर्व या बुद्ध काल से है। प्राचीन काल में यह चावल मूल रूप से उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में उगाया जाता था। आज ये सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, गोरखपुर, महराजगंज, गोंडा, बस्ती और कुशीनगर में उगाया जाता है।
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