हाईकोर्ट ने कहा : राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने के लिए नहीं दे सकते निर्देश

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 23 Apr 2022 08:48 PM IST

सार

याची मो. मोइन कुरैशी ने राज्य सरकार को खान-ए-दौरान की हवेली, मौजा बसई मुस्तकिल (ताजगंज) आगरा के प्राचीन स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायालय किसी भी स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की अधिसूचना जारी करने का निर्देश सरकार को नहीं दे सकता है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने आगरा के मो. मोईन कुरैशी की ओर से दाखिल जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिया है।

मामले में याची मो. मोइन कुरैशी ने राज्य सरकार को खान-ए-दौरान की हवेली, मौजा बसई मुस्तकिल (ताजगंज) आगरा के प्राचीन स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि 23 अप्रैल 2015 को एक अधिसूचना प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 की धारा चार(1) के तहत जारी गई थी और उसके बाद उस पर दो महीने तक आपत्तियां मांगी गई थीं।

याची की ओर से कहा गया कि इसके बाद राज्य सरकार की ओर से इस बारे में कोई अंतिम अधिसूचना जारी नहीं की गई, इसलिए अंतिम अधिसूचना तुरंत जारी की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि किसी भी स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने वाली अधिसूचना जारी करने के लिए सरकार को निर्देश जारी नहीं किया जा सकता, क्योंकि, प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत सक्षम प्राधिकारी को यह अधिकार दिया गया है।

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायालय किसी भी स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की अधिसूचना जारी करने का निर्देश सरकार को नहीं दे सकता है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने आगरा के मो. मोईन कुरैशी की ओर से दाखिल जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिया है।

मामले में याची मो. मोइन कुरैशी ने राज्य सरकार को खान-ए-दौरान की हवेली, मौजा बसई मुस्तकिल (ताजगंज) आगरा के प्राचीन स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि 23 अप्रैल 2015 को एक अधिसूचना प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 की धारा चार(1) के तहत जारी गई थी और उसके बाद उस पर दो महीने तक आपत्तियां मांगी गई थीं।

याची की ओर से कहा गया कि इसके बाद राज्य सरकार की ओर से इस बारे में कोई अंतिम अधिसूचना जारी नहीं की गई, इसलिए अंतिम अधिसूचना तुरंत जारी की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि किसी भी स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने वाली अधिसूचना जारी करने के लिए सरकार को निर्देश जारी नहीं किया जा सकता, क्योंकि, प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत सक्षम प्राधिकारी को यह अधिकार दिया गया है।

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