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उन्नाव। भूगर्भ जलस्तर सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर जिले में हजारों तालाब खोदे गए। इनमें कुछ को मॉडल तालाब बनाया गया तो कुछ का जीर्णोद्धार कराया गया लेकिन इन्हें पानी से लबालब करने की कोई कार्ययोजना नहीं बनाई गई। हाल ये है कि न तो ये किसानों के काम आ रहे हैं और न मवेशियों के। मॉडल तालाबों में धूल उड़ रही है। नहरों में भी पानी नहीं है।
वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2009-10 तक मनरेगा के तहत जिले में 2862 नए तालाबों का निर्माण कराया गया था। फिर 2010-11 में जिले की सभी ग्राम पंचायतों में एक-एक तालाब को मॉडल तालाब बनाने पर 55 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
2011-12 में भी 150 नए तालाब खोदे गए। वित्तीय वर्ष 2015-16 में मॉडल तालाबों में से ही 702 तालाबों का जीर्णोद्धार 21 करोड़ रुपये से कराया गया। इतना खर्च होने के बाद भी जलस्तर में सुधार की कवायद काम न आई। तालाबों में बूंद तक नजर नहीं आ रही है।
नहरें, माइनरें भी सूखीं
गंजमुरादाबाद क्षेत्र की एकमात्र शारदा नहर में भी पानी नहीं है। इसके कारण पास की माइनरें भी सूखी हैं। क्षेत्र में बोई गई जायद की फसलों तरबूज, खरबूजा समेत मूंद, उर्द आदि की अगैती फ सलों की सिंचाई प्रभावित हो रही है। साथ ही पानी के अभाव में पशु, पक्षी बेहाल हैं। मुर्तजानगर नहर में भी इस समय धूल उड़ रही है। नवाबगंज से गुजरी नहर में पानी नहीं है। औरास, हसनगंज, असोहा, मौरावां में भी नहरें, माइनरें सूखी हैं।
मनरेगा से तालाब निर्माण और जीर्णोद्धार कराया गया था। तालाबों में पानी भरवाने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को दी गई है। रोस्टर के अनुसार जब नहर, माइनर में पानी आएगा, उससे विभाग तालाबों में पानी भरवाएगा। – राजेश कुमार झा, मनरेगा उपायुक्त।
सूखी पड़ी नवाबगंज से निकली सारदा नहर। संवाद– फोटो : UNNAO
उन्नाव। भूगर्भ जलस्तर सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर जिले में हजारों तालाब खोदे गए। इनमें कुछ को मॉडल तालाब बनाया गया तो कुछ का जीर्णोद्धार कराया गया लेकिन इन्हें पानी से लबालब करने की कोई कार्ययोजना नहीं बनाई गई। हाल ये है कि न तो ये किसानों के काम आ रहे हैं और न मवेशियों के। मॉडल तालाबों में धूल उड़ रही है। नहरों में भी पानी नहीं है।
वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2009-10 तक मनरेगा के तहत जिले में 2862 नए तालाबों का निर्माण कराया गया था। फिर 2010-11 में जिले की सभी ग्राम पंचायतों में एक-एक तालाब को मॉडल तालाब बनाने पर 55 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
2011-12 में भी 150 नए तालाब खोदे गए। वित्तीय वर्ष 2015-16 में मॉडल तालाबों में से ही 702 तालाबों का जीर्णोद्धार 21 करोड़ रुपये से कराया गया। इतना खर्च होने के बाद भी जलस्तर में सुधार की कवायद काम न आई। तालाबों में बूंद तक नजर नहीं आ रही है।
नहरें, माइनरें भी सूखीं
गंजमुरादाबाद क्षेत्र की एकमात्र शारदा नहर में भी पानी नहीं है। इसके कारण पास की माइनरें भी सूखी हैं। क्षेत्र में बोई गई जायद की फसलों तरबूज, खरबूजा समेत मूंद, उर्द आदि की अगैती फ सलों की सिंचाई प्रभावित हो रही है। साथ ही पानी के अभाव में पशु, पक्षी बेहाल हैं। मुर्तजानगर नहर में भी इस समय धूल उड़ रही है। नवाबगंज से गुजरी नहर में पानी नहीं है। औरास, हसनगंज, असोहा, मौरावां में भी नहरें, माइनरें सूखी हैं।
मनरेगा से तालाब निर्माण और जीर्णोद्धार कराया गया था। तालाबों में पानी भरवाने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को दी गई है। रोस्टर के अनुसार जब नहर, माइनर में पानी आएगा, उससे विभाग तालाबों में पानी भरवाएगा। – राजेश कुमार झा, मनरेगा उपायुक्त।
सूखी पड़ी नवाबगंज से निकली सारदा नहर। संवाद– फोटो : UNNAO
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