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सार
सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सपा नेताओं से आजम खां ने मुलाकात क्यों नहीं की? क्या शिवपाल यादव का दांव काम कर गया या कोई और वजह है? क्या आजम सपा मुखिया अखिलेश यादव से नाराज हैं? अगर हां तो इसकी वजह क्या है?
एक के बाद एक कई मुस्लिम नेता समाजवादी पार्टी पार्टी छोड़ चुके हैं। सपा के कद्दावर नेता आजम खां इस पूरे विवाद के केंद्र में हैं। रविवार को सीतापुर जेल पहुंचे सपा नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से आजम खां ने मिलने से इंकार कर दिया। वहीं, इससे पहले शुक्रवार को प्रगतिशील समाज पार्टी (प्रसपा) के मुखिया शिवपाल यादव भी सीतापुर जेल पहुंचे थे। तब आजम खां ने उनसे करीब आधे घंटे तक बंद कमरे में बातचीत की।
शिवपाल ही नहीं, सपा नेताओं के बाद सोमवार को कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम से भी आजम ने मुलाकात की। आचार्य अपने साथ श्रीमद् भगवत गीता लेकर पहुंचे थे। दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई।
ऐसे में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि आखिर सपा नेताओं से आजम खां ने मुलाकात क्यों नहीं की? क्या शिवपाल यादव का दांव काम कर गया या कोई और वजह है? क्या आजम सपा मुखिया अखिलेश यादव से नाराज हैं? अगर हां तो इसकी वजह क्या है? आइए इन सभी सवालों का जवाब जानते हैं…
शुरुआत सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली राष्ट्रीय लोक दल यानी रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने की। डॉ. मसूद ने खुलकर सपा मुखिया अखिलेश यादव और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी की खिलाफत की। अखिलेश को तो तानाशाह तक कह दिया।
इसके बाद तो मानों सपा के मुसलमान नेताओं में बयान देने की होड़ मच गई। संभल से सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क, आजम खां के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां ने अखिलेश के खिलाफ बयान दिया। इतना ही नहीं सिकंदर अली, अदनान चौधरी, कासिम राईन, इरशाद खान, मोहम्मद हमजा शेख जैसे कई मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। सभी ने एक स्वर में आरोप लगाया कि अगर अखिलेश यादव चाहते तो आजम खां जेल से बाहर होते। यही नहीं, इन नेताओं ने यह भी कहा कि मुसलमानों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न पर अखिलेश चुप रहते हैं। उन्हें केवल मुसलमानों का वोट चाहिए।
सपा मुखिया अखिलेश यादव से पार्टी के मुसलमान नेताओं की नाराजगी में शिवपाल सिंह यादव ने सुर में सुर मिलाया। इतना ही नहीं शिवपाल शुक्रवार को सीतापुर जेल में बंद आजम से मुलाकात करने पहुंचे। सूत्रों के अनुसार, शिवपाल ने आजम को प्रसपा के साथ जुड़ने का ऑफर दिया है। आधे घंटे के इस मुलाकात के बाद शिवपाल बाहर आए और मीडिया के सामने अखिलेश यादव के साथ-साथ बड़े भाई और सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव को भी निशाने पर ले लिया।
कहा, ‘यदि सपा गंभीर होती तो परिणाम कुछ और होते। नेताजी ने कुछ नहीं किया। लोकसभा में भी मामला नहीं उठाया। उनके नेतृत्व में पार्टी इस मामले पर धरना कर सकती थी। यदि आजम खां के लिए धरना-प्रदर्शन होता तो प्रधानमंत्री इस मामले का संज्ञान जरूर लेते।’ शिवपाल की मुलाकात के बाद सपा का एक प्रतिनिधिमंडल आजम से मिलने के लिए सीतापुर जेल पहुंचा, लेकिन उन्होंने मिलने से ही इंकार कर दिया।
- आजम को सीतापुर की जेल में बंद हुए 26 महीने हो रहे हैं। इस दौरान सिर्फ एक बार ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजम से मुलाकात की। आजम अब तक सपा के सांसद थे। जब से वह जेल में बंद हैं, तब से संसद के चार सत्र हुए। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी की तरफ से आजम को लेकर एक बार भी संसद में मुद्दा नहीं उठाया गया।
- आजम के समर्थकों का कहना है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मुसलमानों के लिए सही से आवाज नहीं उठा रहे हैं। मुस्लिमों के मुद्दों केलेकर सपा मुखिया को मैदान में उतरना चाहिए और धरना-प्रदर्शन करना चाहिए, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। एक्सपर्ट्स आजम के गुस्से की एक वजह इसे भी मानते हैं।
आजम खां को एआईएमआईएम, कांग्रेस की ओर से पार्टी में शामिल होने का न्योता मिल चुका है। रालोद मुखिया जयंत चौधरी भी आजम के परिवार से मिलने रामपुर पहुंचे चुके हैं। वहीं, प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने जेल में जाकर आजम से मुलाकात की। इसके बाद कांग्रेस के प्रमोद कृष्णम भी सोमवार को आजम से मिलने जेल पहुंचे। वहीं, अखिलेश यादव ने भी दावा किया कि आजम सपा के साथ ही हैं। ऐसे में आजम की ओर से कोई बयान आने के बाद ही उनकी आगे की रणनीति का खुलासा होगा।
विस्तार
एक के बाद एक कई मुस्लिम नेता समाजवादी पार्टी पार्टी छोड़ चुके हैं। सपा के कद्दावर नेता आजम खां इस पूरे विवाद के केंद्र में हैं। रविवार को सीतापुर जेल पहुंचे सपा नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से आजम खां ने मिलने से इंकार कर दिया। वहीं, इससे पहले शुक्रवार को प्रगतिशील समाज पार्टी (प्रसपा) के मुखिया शिवपाल यादव भी सीतापुर जेल पहुंचे थे। तब आजम खां ने उनसे करीब आधे घंटे तक बंद कमरे में बातचीत की।
शिवपाल ही नहीं, सपा नेताओं के बाद सोमवार को कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम से भी आजम ने मुलाकात की। आचार्य अपने साथ श्रीमद् भगवत गीता लेकर पहुंचे थे। दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई।
ऐसे में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि आखिर सपा नेताओं से आजम खां ने मुलाकात क्यों नहीं की? क्या शिवपाल यादव का दांव काम कर गया या कोई और वजह है? क्या आजम सपा मुखिया अखिलेश यादव से नाराज हैं? अगर हां तो इसकी वजह क्या है? आइए इन सभी सवालों का जवाब जानते हैं…
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