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बांदा जिले में जिला पंचायत सदस्य श्वेता सिंह गौर की मौत के मामले में पुलिस को पति-पत्नी के बीच झगड़े से जुड़ी कई अहम जानकारी मिली है। डॉ. दीपक सिंह गौर के घर में लगभग एक माह से काम कर रहे श्वेता के मायका कर्वी निवासी छेदीलाल ने बताया कि भइया (दीपक) कमरे में बैठकर शराब पी रहे थे। दीदी (श्वेता) ने मना किया तो दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। तेज आवाज में बहस हो रही थी। दोनों के झगड़े के बीच में आने की उसकी भी हिम्मत नहीं पड़ी। कुछ देर बाद दीपक ने दीदी श्वेता के दोनों मोबाइल फोन फेंककर तोड़ दिए। भइया यह कहकर बाहर चले गए कि वह बेटी गौरी को लेने स्कूल जा रहे हैं। इसी बीच दीदी ने फांसी लगा ली और भइया भी वापस नहीं आए।
सीसीटीवी का डीबीआर पुलिस ने कब्जे में लिया
श्वेता के पिता और भाइयों के आरोपों के बाद पुलिस हर बिंदु पर जांच में जुटी है। घर में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के लिए सेटअप बॉक्स (डीबीआर) पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। श्वेता के मोबाइल की भी जांच-पड़ताल शुरू कर दी। सर्विलांस टीम की मदद ली जा रही है। कॉल डिटेल्स भी खंगालेगी।
मंत्री से पिता ने कहा- हत्यारे के घर बुलडोजर चलाएं
घटनास्थल इंदिरा नगर से लेकर मेडिकल कालेज के पोस्टमार्टम हाउस तक जनप्रतिनिधियों और भाजपा नेताओं का तांता लगा रहा। राज्यमंत्री रामकेश निषाद भी पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। वहां श्वेता के पिता धर्मवीर सिंह को ढांढस बंधाया। पिता ने मंत्री से कहा कि उन्हें न्याय मिलना चाहिए।
पोस्टमार्टम हाउस में श्वेता के भाई ओमकार सिंह और शुभम सिंह का रो-रोकर बुरा हाल था। वह बार-बार यही कहते रहे कि उनकी बहन को मार डाला गया। श्वेता के पिता धर्मवीर सिंह ने भी यही दोहराया। उधर, घटनास्थल पर मौजूद श्वेता की बहन करिश्मा रो-रोकर कह रही थीं कि दीदी को मार डाला। हे! भगवान कभी माफ न करना, जैसी चीखें गूंजती रहीं।
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