उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में बुधवार को जिला पंचायत सदस्य श्वेता सिंह गौर का शव संदिग्ध परिस्थितियों में फंदे से लटकता मिला। इंद्रा नगर स्थित आवास में उन्होंने साड़ी का फंदा बना कर फांसी लगा ली। बता दें कि श्वेता सिंह जिले के जसपुरा क्षेत्र के वार्ड 12 से भाजपा की जिला पंचायत सदस्य थीं।
श्वेता सिंह गौर को राजनीति में लाना उनके पति दीपक सिंह गौर की मजबूरी थी। दीपक जसपुरा के मरझा गांव के निवासी थे। वह इस क्षेत्र से 20 वर्षों से राजनीति कर रहे थे। दीपक दो बार ब्लॉक प्रमुख पद और दो बार जिला पंचायत सदस्य पद के लिए चुनाव लड़े और हार गए। इस बार चूंकि डीडीसी की महिला सीट आ गई इसलिए पत्नी श्वेता सिंह को चुनाव में उतारा और जीत हासिल की।
दीपक की मनसा थी कि वह पत्नी को केवल चुनाव जीतने के लिए राजनीति में लाएं, शेष राजनीति स्वयं करें, लेकिन श्वेता सिंह गौर ने अपनी राजनीतिक पकड़ कुछ तरह से हासिल की कि वह भाजपा में महिला मोर्चा की जिला महामंत्री भी बनीं। साथ ही वह सारे काम स्वयं करना पसंद करतीं।
लोगों से लेकर वह अधिकारियों और राजनीतिक व्यक्तियों से बात करना उनके स्वभाव में था। यही सब उनके पति दीपक को नहीं भाता था। श्वेता सिंह गौर की मौत के बाद से उनके पति दीपक सिंह गौर घर से नदारद हैं। उनका फोन भी बंद है।
वो भी भाजपा नेता हैं। घटना की जानकारी मिलते ही संबंधित थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की छानबीन में जुट गई। श्वेता सिंह ने बीती रात व्हाट्सएप स्टेटस लगाकर लिखा था कि- घायल नागिन, घायल शेरनी और अपमानित स्त्री से हमेशा डरना चाहिए।
बता दें कि 35 वर्षीय श्वेता सिंह गौर भाजपा महिला मोर्चा की जिला महामंत्री भी थीं। उन्होंने समाज शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। उनकी तीन बेटियां हैं। बताया जा रहा है कि उनके और पति के बीच काफी दिनों से विवाद चल रहा था।