High Court Order : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को विधवा को अनुकंपा पर नियुक्ति का दिया आदेश, परिवार पर की तल्ख टिप्पणी

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 23 May 2022 09:12 PM IST

सार

मामले में याची की ओर से उसके पति की आसमयिक मृत्यु के कारण अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी। याची के पति को 2015 में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड इलाहाबाद के तहत संचालित बेसिक स्कूल में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधवा बहू को अनुकंपा नियुक्ति का आदेश देते हुए पारिवारिक संबंधों में गंभीर टिप्पणी की। कहा कि बहुत बार ऐसे माता-पिता जिसके बेटे की आसमयिक मृत्यु हो जाती है, वे इसके लिए बहू को दोषी ठहराते हैं। उसे उसके पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए उचित और बेइमानी से हर तरह का सहारा लेकर उससे छुटकारा पाना चाहते हैं। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कुशीनगर की दीपिका शर्मा द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

मामले में याची की ओर से उसके पति की आसमयिक मृत्यु के कारण अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी। याची के पति को 2015 में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड इलाहाबाद के तहत संचालित बेसिक स्कूल में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए विपक्षी बेसिक शिक्षाधिकारी कुशीनगर के समक्ष प्रत्यावेदन किया था। तर्क दिया गया कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और अपने पति की मृत्यु के बाद वह अपने एक साल के बच्चे के साथ भुखमरी की स्थिति में पहुंच गई है।

ससुर ने अनुकंपा नौकरी देने का किया था विरोध

याची के ससुर का आरोप था कि वह उसके बेटे को परेशान कर रही थी, जिसके कारण वह बीमार हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। उसके देवर ने गर्दन काटने की धमकी देने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कराया था। याची के ससुर ने जिला जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर को मृतक की एक वसीयत भी भेजी जिसे उसके पक्ष में निष्पादित किया गया था।

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याची बेसिक शिक्षाधिकारी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने पाया कि यूपी भर्ती के तहत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती नियम 1974 नियम 2 (सी) मृतक सरकारी कर्मचारी के परिवार को परिभाषित करता है, जिसमें पत्नी या पति, बेटे शामिल हैं। इसके बाद अविवाहित और विधवा बेटियां का नंबर आता है। कोर्ट ने पाया कि मृतक के पिता और भाई नहीं चाहते कि याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।

उनका आचरण असामान्य नहीं है। क्योंकि, अधिकांश माता-पिता जिनके बेटे की असमय मृत्यु हो जाती है, अपनी विधवा बहु को उसकी मृत्यु के लिए दोषी ठहराते हैं और उसे अपने पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए हर तरह से निष्पक्ष और बेइमानी का सहारा लेकर उससे छुटकारा पाना चाहते हैं। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए याची को अनुकंपा पर नियुक्ति का आदेश दिया।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधवा बहू को अनुकंपा नियुक्ति का आदेश देते हुए पारिवारिक संबंधों में गंभीर टिप्पणी की। कहा कि बहुत बार ऐसे माता-पिता जिसके बेटे की आसमयिक मृत्यु हो जाती है, वे इसके लिए बहू को दोषी ठहराते हैं। उसे उसके पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए उचित और बेइमानी से हर तरह का सहारा लेकर उससे छुटकारा पाना चाहते हैं। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कुशीनगर की दीपिका शर्मा द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

मामले में याची की ओर से उसके पति की आसमयिक मृत्यु के कारण अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी। याची के पति को 2015 में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड इलाहाबाद के तहत संचालित बेसिक स्कूल में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए विपक्षी बेसिक शिक्षाधिकारी कुशीनगर के समक्ष प्रत्यावेदन किया था। तर्क दिया गया कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और अपने पति की मृत्यु के बाद वह अपने एक साल के बच्चे के साथ भुखमरी की स्थिति में पहुंच गई है।

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