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सार
आगरा के जगदीशपुरा, लोहामंडी, शांतिपुरम, लंगड़े की चौकी, काजीपाड़ा समेत शहर के कई नालों की दीवारें क्षतिग्रस्त हैं, जिनकी अब तक मरम्मत नहीं हुई है।
मानसून आने में एक महीने से कम वक्त रह गया है। नालों की सफाई के दावों के बीच एक साल से आगरा में 272 जगहों पर नालों की दीवारें टूटी पड़ी हैं, जहां पानी के बहाव के कारण इससे सटी सड़कों का कटान शुरू हो गया है। सड़कों के कटान के साथ ही मानसून में नालों के किनारे बसी बस्तियों में जलभराव का खतरा बढ़ गया है।
दीवार न होने से जलभराव होने पर जनहानि की भी आशंका है। नगर निगम के सेनेटरी इंस्पेक्टरों ने निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर को 272 जगहों पर नालों की दीवार टूटी होने पर मरम्मत की रिपोर्ट पिछले महीने सौंपी थी, लेकिन इनका काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। नालों की दीवारें एक साल से टूटी पड़ी हैं।
बोदला-लोहामंडी रोड पर बैनारा फैक्टरी से सटी सड़क किनारे बने नाले की दीवार बीते साल 12 मई को तेज बारिश में ढह गई थी। तब से अब तक इसका निर्माण नहीं हुआ है। नाले की दीवार टूटने के बाद से अब तक यहां 7 फुट तक सड़क की मिट्टी का कटान हो चुका है। यहां से वाहनों के निकलने पर नाले में गिरने का खतरा बना हुआ है। यही हाल लंगड़े की चौकी, लोहामंडी, खतैना, काजीपाड़ा, बोदला, सुभाष नगर नाले का है, जहां नाले के पानी से सड़क का कटान शुरू हो चुका है।
दावा : 332 किमी में 217 किमी नाले की सफाई
नगर निगम में मंगलवार को पेश की गई रिपोर्ट में नालों की सफाई का काम 60 फीसदी तक पूरा बताया गया है। 15 जून तक नालों की सफाई पूरी करनी है। शहर के अंदर 332 किमी लंबे नालों में से 217 किमी की सफाई का दावा सेनेटरी इंस्पेक्टरों ने किया है। पार्षद रवि बिहारी माथुर का आरोप है कि हकीकत इनके उलट है। अभी 10 फीसदी नाले साफ नहीं हो पाए हैं।
आरोप : तलीझाड़ सफाई नहीं की
पार्षद शिरोमणि सिंह ने बताया कि मंटोला, महावीर, शाही कैनाल, काजीपाड़ा जैसे बड़े नालों से मशीन से कुछ जगह सिल्ट निकाली है। कहीं से भी नालों से पॉलीथीन और कतरनें निकाल रहे हैं। तलीझाड़ सफाई नहीं की जा रही है। इससे मानसून में पहले जैसी स्थिति ही रहने वाली है। बीते साल भी ऐसे ही दावे किये गए थे, पर पूरे शहर में जलभराव हुआ। परंपरागत जगहों में जलभराव न हो, इसकी कोई योजना नहीं बनाई है।
दलील : निर्माण के लिए रिपोर्ट सौंपी
अपर नगर आयुक्त एसपी यादव ने कहा कि नालों की सफाई के दौरान हमने जहां जहां नाले टूटे पाए हैं, उनकी रिपोर्ट बनाकर चीफ इंजीनियर को सौंप दी है। नालों की मरम्मत का काम भी साथ हो जाएगा तो मानसून में दिक्कत नहीं आएगी। निर्माण के बारे में चीफ इंजीनियर तय करेंगे।
मानसून के बाद हो पाएगा काम
मेयर नवीन जैन ने कहा कि हमारे 400 कार्य ऐसे हैं, जिनमें टेंडर निकाले हैं लेकिन ठेकेदार टेंडर नहीं डाल रहे। नालों की मरम्मत के लिए प्रोजेक्ट बनाने के लिए कहा है। शासन से ड्रेनेज सिस्टम के लिए धन देने के लिए मांग करेंगे। निगम के पास बजट नहीं है। इसी वजह से 268 काम ऐसे हैं, जिनके वर्क ऑर्डर जारी हो चुके हैं, पर ठेकेदारों ने काम शुरू नहीं किया है। जो नाले टूटे हैं, उनमें मानसून के बाद ही काम हो पाएगा। अब तो टेंडर निकालने में ही मानसून आ जाएगा।
विस्तार
मानसून आने में एक महीने से कम वक्त रह गया है। नालों की सफाई के दावों के बीच एक साल से आगरा में 272 जगहों पर नालों की दीवारें टूटी पड़ी हैं, जहां पानी के बहाव के कारण इससे सटी सड़कों का कटान शुरू हो गया है। सड़कों के कटान के साथ ही मानसून में नालों के किनारे बसी बस्तियों में जलभराव का खतरा बढ़ गया है।
दीवार न होने से जलभराव होने पर जनहानि की भी आशंका है। नगर निगम के सेनेटरी इंस्पेक्टरों ने निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर को 272 जगहों पर नालों की दीवार टूटी होने पर मरम्मत की रिपोर्ट पिछले महीने सौंपी थी, लेकिन इनका काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। नालों की दीवारें एक साल से टूटी पड़ी हैं।
बोदला-लोहामंडी रोड पर बैनारा फैक्टरी से सटी सड़क किनारे बने नाले की दीवार बीते साल 12 मई को तेज बारिश में ढह गई थी। तब से अब तक इसका निर्माण नहीं हुआ है। नाले की दीवार टूटने के बाद से अब तक यहां 7 फुट तक सड़क की मिट्टी का कटान हो चुका है। यहां से वाहनों के निकलने पर नाले में गिरने का खतरा बना हुआ है। यही हाल लंगड़े की चौकी, लोहामंडी, खतैना, काजीपाड़ा, बोदला, सुभाष नगर नाले का है, जहां नाले के पानी से सड़क का कटान शुरू हो चुका है।
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