CNG: टीटीजेड में होने के बाद भी ताजनगरी में सीएनजी सबसे महंगी, लोगों का रुझान हो रहा कम

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सार

आगरा में 89.93 रुपये प्रति किलो सीएनजी बिक रही है, जबकि फिरोजाबाद, मथुरा में सीएनजी 87 रुपये प्रति किलो है तो वहीं गाजियाबाद और नोएडा में 78.17 रुपये प्रति किलो है।

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ताज ट्रिपेजियम जोन यानी टीटीजेड में होने के बाद भी आगरा में प्रदूषण रहित ईंधन सीएनजी सबसे महंगी है। दिल्ली में यह 75.61 रुपये और लखनऊ में 85.80 रुपये प्रति किलो है, जबकि आगरा में यह 89.93 रुपये प्रति किलो है। ऐसे में लोगों का सीएनजी की ओर रुझान कम हो रहा है। तीन माह के भीतर सीएनजी सेंटरों पर नई किट लगवाने वालों में 40 फीसदी तक की गिरावट आई है।

टीटीजेड प्राधिकरण ने प्रदूषण रोकने के लिए आगरा में 15 साल पुराने वाहनों के पंजीकरण का नवीनीकरण तक बंद करा दिया है। डीजल चलित वाहनों के पंजीकरण का नवीनीकरण पांच साल से बंद है। शहर में ऑटोरिक्शा के परमिट देना भी पांच साल से बंद है। प्राधिकरण प्रदूषण रहित वाहनों के संचालन पर बल दे रहा है। कोयले के प्रयोग पर रोक है। इलेक्ट्रिक और सीएनजी ईंधन से चलने वाले वाहनों को प्रोत्साहन देने के स्थान पर आगरा में सीएनजी के दाम आसमान छू रहे हैं। फिरोजाबाद, मथुरा में सीएनजी 87 रुपये प्रति किलो है तो वहीं गाजियाबाद और नोएडा में भी 78.17 रुपये प्रति किलो है।

18 हजार ऑटो व टेंपो

शहर में ऑटो का किराया और मालभाड़ा बढ़ने के पीछे भी सीएनजी के दाम हैं। शहर में 10 हजार से ज्यादा सीएनजी ऑटो संचालित हैं, जबकि मंडियों में माल ढोने वाले लोडिंग टेंपो भी सीएनजी से चलते हैं। ऐसे में मालभाड़ा व ऑटो का किराया भी गैस के दाम के कारण अन्य साधनों की अपेक्षा महंगा है, जबकि ई-रिक्शा का किराया कम है।

करीब 42 हजार वाहन

शहर में सीएनजी से संचालित निजी व व्यावसायिक वाहनों में स्कूल बसें, कार, फैक्टरी में संचालित बसों को मिलाकर आरटीओ में करीब 42 हजार गाड़ियां पंजीकृत हैं। इनके अलावा सीएनजी किट लगवाने वाली अपंजीकृत गाड़ियां भी हैं, जिन्हें आरटीओ में दर्ज नहीं कराया गया है।

कम हुआ किट लगवाना

ट्रांसपोर्ट नगर स्थित किटफिट सीएनजी सेंटर के संचालक सचिन अग्रवाल ने कहा कि सीएनजी के बढ़ते दाम के कारण अब लोग निजी व व्यावसायिक वाहनों में सीएनजी किट कम लगवा रहे हैं। तीन माह के भीतर ज्यादा गिरावट आई है। पहले एक माह में औसतन 500 वाहनों में किट लगवाई जाती थी, अब यह संख्या 200 के आसपास है।

जिले में महज 20 पंप

आगरा गुड्स कैरियर एसोसिएशन के संरक्षक दीपक शर्मा ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के वाहनों की जगह सीएनजी वाहनों के संचालन पर बल दिया जा रहा है, मगर इसके पंप जिले में महज 20 हैं। रोजाना इन गाड़ियों के चालक लाइन लगाते हैं। टीटीजेड में सीएनजी सस्ती व सब्सिडी आदि भी देनी चाहिए। 

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लगातार महंगी हो रही सीएनजी

भगवान टॉकीज केएस ऑटो गैस के संचालक सुधांशु शुक्ला ने कहा कि सीएनजी किट लगवाने वाले वाहनों में कमी आई है। आरटीओ से बीएस-6 सीएनजी किट को अनुमति नहीं दी जा रही है। सीएनजी लगातार महंगी हो रही है।

नहीं मिली बीएस-6 की अनुमति

एआरटीओ एके सिंह ने कहा कि सीएनजी में बदलाव कराने वाले वाहनों को आरटीओ से तुरंत मंजूरी दी जाती है। बीएस-6 की परमीशन परिवहन मुख्यालय से मिलेगी, जोकि अभी तक नहीं मिल सकी है। 

स्थानीय खर्च के कारण दरें अलग

ग्रीन गैस लिमिटेड के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर विनय भारद्वाज ने कहा कि विभिन्न शहरों में सीएनजी व पीएनजी की दरें अलग-अलग हैं। इसमें ट्रांसपोर्ट सहित अन्य खर्च जुड़े होने के कारण अंतर रहता है। 

विस्तार

ताज ट्रिपेजियम जोन यानी टीटीजेड में होने के बाद भी आगरा में प्रदूषण रहित ईंधन सीएनजी सबसे महंगी है। दिल्ली में यह 75.61 रुपये और लखनऊ में 85.80 रुपये प्रति किलो है, जबकि आगरा में यह 89.93 रुपये प्रति किलो है। ऐसे में लोगों का सीएनजी की ओर रुझान कम हो रहा है। तीन माह के भीतर सीएनजी सेंटरों पर नई किट लगवाने वालों में 40 फीसदी तक की गिरावट आई है।

टीटीजेड प्राधिकरण ने प्रदूषण रोकने के लिए आगरा में 15 साल पुराने वाहनों के पंजीकरण का नवीनीकरण तक बंद करा दिया है। डीजल चलित वाहनों के पंजीकरण का नवीनीकरण पांच साल से बंद है। शहर में ऑटोरिक्शा के परमिट देना भी पांच साल से बंद है। प्राधिकरण प्रदूषण रहित वाहनों के संचालन पर बल दे रहा है। कोयले के प्रयोग पर रोक है। इलेक्ट्रिक और सीएनजी ईंधन से चलने वाले वाहनों को प्रोत्साहन देने के स्थान पर आगरा में सीएनजी के दाम आसमान छू रहे हैं। फिरोजाबाद, मथुरा में सीएनजी 87 रुपये प्रति किलो है तो वहीं गाजियाबाद और नोएडा में भी 78.17 रुपये प्रति किलो है।

18 हजार ऑटो व टेंपो

शहर में ऑटो का किराया और मालभाड़ा बढ़ने के पीछे भी सीएनजी के दाम हैं। शहर में 10 हजार से ज्यादा सीएनजी ऑटो संचालित हैं, जबकि मंडियों में माल ढोने वाले लोडिंग टेंपो भी सीएनजी से चलते हैं। ऐसे में मालभाड़ा व ऑटो का किराया भी गैस के दाम के कारण अन्य साधनों की अपेक्षा महंगा है, जबकि ई-रिक्शा का किराया कम है।

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