डब्ल्यूडब्ल्यूई में कभी भारत के द ग्रेट खली का खूब सिक्का चला। उन्होने अपने समय में खलबली मचाई थी। अब उसी रिंग में एक नाम जुड़ा है रिंकू सिंह राजपूत यानी वीर महान का। उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे जनपदों में गिने जाने वाले भदोही (संत रविदास नगर) के छोटे से गांव होलपुर, गोपीगंज निवासी रिंकू सिंह राजपूत का जीवन काफी रोमांचकारी और संघर्षपूर्ण रहा है। ट्रक ड्राइवर के पुत्र रिंकू भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रति काफी आस्थावान हैं।
रिंग में अपने भारतीय पारंपरिक पोशाक में उनका लुक लोगों को खूब भा रहा है। छह फुट चार इंच और 125 किलो के वीर महान ने स्वतंत्र रेसलर के रूप में चार अप्रैल को डब्ल्यूडब्ल्यूई में कदम रखा। रिंग में खूंखार दिखने वाले वीर महान रुद्राक्ष की माला पहनते हैं और माथे पर त्रिपुंड लगाते हैं। सीने पर बड़े अक्षरों से मां लिखा है, जबकि बाजू पर राम। जो सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लेता है। नीचे की स्लाइड्स में देखें…
पिता को प्रतिदिन फोन पर देते हैं समय
रिंकू सिंह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम व भगवान शिव के भक्त और मां भगवती के उपासक हैं। रिंकू सिंह के बड़े भाई राजन सिंह बताते हैं कि वे मां के काफी करीब रहे हैं। अब भी सात समुंदर पार होने और इतना व्यस्त होने के बावजूद प्रतिदिन बाबूजी (पिता) को सुबह या शाम में जरूर समय देते हैं। फोन पर व्हाट्सएप कॉलिंग से ही बात होती है।
शुद्ध शाकाहारी हैं वीर महान
बताते हैं कि बीते वर्ष सर्दी के मौसम में घर आए थे। राजन सिंह बताते हैं कि रिंकू जहां रहते हैं अपनी पूजन की सामग्री साथ रखते हैं। प्रतिदिन समय के अनुसार पूजा करना, चंदन लगाना उनकी दिनचर्या है। भक्ति की वजह से ही उन्होंने अपनी भुजा पर राम और सीने पर मां लिखवाया है। वह शुद्ध शाकाहारी हैं।
रिंकू सिंह राजपूत का परिवार
भदोही जिले के गोपीगंज क्षेत्र में स्थित होलपुर गांव निवासी ब्रह्मदीन सिंह ट्रक ड्राइवर थे। उससे ही परिवार का खर्च चलता था। रिंकू की मां अन्तराजा सिंह का पांच नवंबर 2018 को निधन हो चुका है। ब्रह्मदीन बताते हैं कि उनकी कुल सात संतानें हैं। इसमें चार पुत्र रत्नेश सिंह उर्फ गोपाल बीएसएफ में, राजकुमार सिंह सेना में, राजन सिंह रेलवे में और रिंकू सिंह रेसलर हैं। तीन पुत्रियां कुसुम सिंह, सुसुम सिंह व रुसुम सिंह हैं। तीनों की शादी हो चुकी है। रिंकू का जन्म आठ अगस्त 1988 को हुआ। उनके पिता बताते हैं कि रिंकू की मां भगवती की भक्त थीं। वह विंध्याचल दर्शन करने गईं थी, वहीं पर रिंकू का जन्म हुआ था।
रिंकू का कैसा रहा जीवन, किस तरह से बढ़े आगे
रिंकू के पिता बताते हैं कि वह बचपन से ही खेल में रुचि रखते थे। भाई राजन के मुताबिक, आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद भाला फेंकने का ट्रायल दिया। उसमें सफल होने पर गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ गए। वहां से खेलते रहे और जूनियर नेशनल में गोल्ड मेडल भी जीते। 2008 में द मिलियन डॉलर आर्म नाम के रियलटी टीवी शो में हिस्सा लिया। इसमें तेज बेसबॉल फेंकने वाले खिलाड़ियों ने भाग लिया था।