[ad_1]
सार
1980 से 2013 तक रिकॉर्ड नौ बार विधायक और पांच बार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता रहे प्रमोद तिवारी इससे पहले वर्ष 2013 में समाजवादी पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश से निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए थे। शायर से नेता बने इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से राज्यसभा का टिकट देने के फैसले को लेकर राजनीतिक विश्लेषक भी हैरान हैं। हालांकि पार्टी के इस फैसले को भी 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की ओर से दिग्गज नेता प्रमोद तिवारी और शायर शायर से नेता बने इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा का टिकट दिए जाने के बाद केंद्र की राजनीति में बरसों बाद एक बार फिर से प्रतापगढ़ का रसूख बड़ा है। यह पहला मौका होगा जब जिले से एक साथ दो लोग राज्यसभा के लिए दावेदारी करेंगे। प्रमोद तिवारी को दूसरी बार राज्यसभा जाने का मौका मिल सकता है।
इससे पहले वह 2013 में सपा के सहयोग से उत्तर प्रदेश से निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए थे। दूसरी तरफ इमरान प्रतापगढ़ी को केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर होने और सरकार के फैसलों के विरोध में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करने का इनाम मिला है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सियासत में कदम रखने वाले इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजने का फैसला लेकर कांग्रेस ने सबको चौंका दिया है।
सूबे की सियासत में हमेशा से अपना वर्चस्व कायम रखने वाले प्रतापगढ़ को केंद्र की राजनीति में लंबे समय से वह मुकाम हासिल नहीं हो सकता था जो कभी राजा दिनेश सिंह के समय हुआ करता था। यहां से अलग-अलग दलों के सांसद चुने जाते रहे। दूसरे जिलों से आए लोगों ने भी यहां का प्रतिनिधित्व किया। पहली बार ऐसा मौका आया है जब जिले से एक साथ दो लोगों को राज्यसभा जाने का मौका मिला है।
दोनों लोगों के राज्यसभा सांसद चुने जाने के बाद इस जिले से तीन सांसद हो जाएंगे। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। इससे पहले राजा दिनेश सिंह और प्रमोद तिवारी एक एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। राजस्थान से राज्यसभा सांसद का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी का चार साल का राजनीतिक वनवास भी खत्म हो गया है।
कांग्रेस से लगातार नौ बार विधायक रहे प्रमोद तिवारी
1980 से 2013 तक रिकॉर्ड नौ बार विधायक और पांच बार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता रहे प्रमोद तिवारी इससे पहले वर्ष 2013 में समाजवादी पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश से निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए थे। अपने कार्यकाल के दौरान संसद में सटीक तथ्यों और बेहद सधे अंदाज में मोदी सरकार को घेरने वाले प्रमोद तिवारी का कार्यकाल वर्ष 2018 में समाप्त हो गया था।
इसके बाद जब उनके राजनीतिक जीवन का पहला मौका था जब वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। लगभग चार साल तक और सियासत की मुख्यधारा से दूर रहे। बावजूद इसके कांग्रेस में उनकी पूरी आस्था बरकरार रही। सरकार के हर फैसले पर वह अपने बयानों के जरिए लगातार हमलावर रहे। उनकी कार्यशैली और सरकार विरोधी तेवरों को देखते हुए ही कांग्रेस ने उन्हें पिछले कई विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक बनाया था।
भाजपा की लहर में भी रामपुर खास सीट जिताने में रहे सफल
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की आंधी में भी प्रतापगढ़ की रामपुर खास विधानसभा सीट कांग्रेस को जिताने में वह कामयाब रहे। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी वह रामपुर खास सीट से अपनी बेटी आराधना मिश्रा मोना को लगातार तीसरी बार विधायक बनाने में सफल हुए। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस एक मात्र यही सीट जीत सकी। चुनाव से पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की प्रभारी रहीं प्रियंका गांधी के साथ वे लगातार सक्रिय रहे। वह कांग्रेस के कुछ चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जिन्होंने मुश्किल दौर में भी पार्टी का साथ नहीं छोड़ा।
हर हालात में वह कांग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आए। माना जा रहा है कि प्रमोद को इसी का इनाम मिला है। इसके अलावा प्रमुख को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के एक बड़े चेहरे के रूप में भी देखा जाता है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस मैं उत्तर प्रदेश में अपने ही सकते जनाधार को मजबूत करने के लिए एक संदेश देने का प्रयास किया है।
इमरान को टिकट मिलने पर राजनीतिक पंडित भी हैरान
शायर से नेता बने इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से राज्यसभा का टिकट देने के फैसले को लेकर राजनीतिक विश्लेषक भी हैरान हैं। हालांकि पार्टी के इस फैसले को भी 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है। इमरान प्रतापगढ़ी एक नामचीन शायर हैं। देश विदेश तक वह मंचों के जरिए अपनी शायरी से लोगों को प्रभावित कर चुके हैं, लेकिन सियासत के मैदान में अभी वह नए खिलाड़ी हैं। प्रदेश में सपा की सरकार के दौरान उन्हें यश भारती सम्मान से भी नवाजा गया था।
कांग्रेस के टिकट पर मुरादाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं इमरान
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी और उन्हें मुरादाबाद से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन वे चुनाव हार गए थे। इसके बाद सेवा कांग्रेस में लगातार सक्रिय हैं। इमरान को प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है। अपनी शेरो शायरी से वह केंद्र की मोदी सरकार को अक्सर घेरने का प्रयास करते रहे हैं। यूपी की सियासत में अपनी जड़ें जमाने के लिए कांग्रेस उन्हें मुस्लिम चेहरे के तौर पर देख रही है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने इमरान को टिकट देकर एक तरह से मुसलमानों को साधने का दांव चला है।
विस्तार
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की ओर से दिग्गज नेता प्रमोद तिवारी और शायर शायर से नेता बने इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा का टिकट दिए जाने के बाद केंद्र की राजनीति में बरसों बाद एक बार फिर से प्रतापगढ़ का रसूख बड़ा है। यह पहला मौका होगा जब जिले से एक साथ दो लोग राज्यसभा के लिए दावेदारी करेंगे। प्रमोद तिवारी को दूसरी बार राज्यसभा जाने का मौका मिल सकता है।
इससे पहले वह 2013 में सपा के सहयोग से उत्तर प्रदेश से निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए थे। दूसरी तरफ इमरान प्रतापगढ़ी को केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर होने और सरकार के फैसलों के विरोध में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करने का इनाम मिला है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सियासत में कदम रखने वाले इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजने का फैसला लेकर कांग्रेस ने सबको चौंका दिया है।
सूबे की सियासत में हमेशा से अपना वर्चस्व कायम रखने वाले प्रतापगढ़ को केंद्र की राजनीति में लंबे समय से वह मुकाम हासिल नहीं हो सकता था जो कभी राजा दिनेश सिंह के समय हुआ करता था। यहां से अलग-अलग दलों के सांसद चुने जाते रहे। दूसरे जिलों से आए लोगों ने भी यहां का प्रतिनिधित्व किया। पहली बार ऐसा मौका आया है जब जिले से एक साथ दो लोगों को राज्यसभा जाने का मौका मिला है।
दोनों लोगों के राज्यसभा सांसद चुने जाने के बाद इस जिले से तीन सांसद हो जाएंगे। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। इससे पहले राजा दिनेश सिंह और प्रमोद तिवारी एक एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। राजस्थान से राज्यसभा सांसद का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी का चार साल का राजनीतिक वनवास भी खत्म हो गया है।
[ad_2]
Source link