ताजमहल की खूबसूरती में प्लास्टिक कचरे से दाग लगने के बाद आगरा नगर निगम ने सफाई एजेंसी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। लॉयन एजेंसी को नोटिस भेजा गया है। अधिकारियों को गुमराह करने पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। दस साल की अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने ताज के पार्श्व में दशहर घाट पर प्लास्टिक प्रदूषण का मुद्दा उठाया था।
उत्तर भारत में जन्मी दिल्ली में रहने वाली लिसिप्रिया 20 जून को पहली बार आगरा आई थीं। ताजमहल देखने के बाद पार्श्व में यमुना किनारा गई। जहां उन्हें प्लास्टिक कचरा फैला मिला। जिसका फोटो 21 जून को उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किया। जिसके बाद यह मामला दुनियाभर में सुर्खियां बना। इधर, दो दिन तक प्रशासन और निगम सोता रहा। अमर उजाला के हस्तक्षेप पर कमिश्नर अमित गुप्ता ने नगरायुक्त निखिल टी. फुंडे से इस संबंध में जवाब तलब किया। यहां भी सफाई एजेंसी अधिकारियों को गुमराह करती रही। लिसिप्रिया द्वारा पोस्ट फोटो को एजेंसी ने 26 मई का बताया। जबकि वह पहली बार 20 जून को आगरा आई थीं। इसके बाद कमिश्नर ने एजेंसी के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दिए।
नगरायुक्त निखिल टी फुंडे ने बताया कि एजेंसी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। ताजमहल के पार्श्व में यमुना किनारा स्थित दशहरा घाट पर नियमित सफाई के लिए कर्मचारी तैनात किए हैं। ताकि भविष्य में दोबारा ऐसी स्थिति न बने।
उन्होंने बताया कि अप्रैल 2021 में लायन एजेंसी को ताजगंज वार्ड की सफाई का जिम्मा सौंपा गया था। ताजमहल परिसर से दो किमी. परिधि में एजेंसी को सफाई व्यवस्था रखनी है। दूसरी तरफ लिसिप्रिया ने भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) महानिदेशक वी विद्यावथी को पत्र भेजकर विश्वदाय स्मारक के अंदर और बाहर गंदगी शिकायत दर्ज कराई है। ताजमहल के आस पास क्षेत्र में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की मांग उठाई है।
लिसीप्रिया कंगुजम ने अमर उजाला को बताया कि 20 जून को मुझे असम में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए जाना था। दिल्ली से राजधानी एक्सप्रेस में मेरी बुकिंग थी। वो ट्रेन रद्द हो गई। मैं आगरा आ गई। यहां से मुझे लखनऊ जाना था, लेकिन ट्रेन तीन घंटे लेट थी। मैंने कभी ताजमहल नहीं देखा था। ये मेरा सपना था। मैंने अब तक सिर्फ किताबों में पढ़ा था। मैं ताजमहल देखने गई तो वहां अंदर प्लास्टिक का कचरा बिखरा था। साफ-सफाई नहीं थी। फिर मैंने नदी किनारे जाकर देखा तो वहां हालात और बुरे थे। मैंने वहां पोस्टर के साथ फोटो लिए। उन्हें 21 जून को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया था।
छह साल की उम्र से पर्यावरण सरंक्षण के लिए आंदोलन चला रहीं लिसिप्रिया को 2019 में स्पेन में हुई यूनाइटिड नेशन कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया गया। इसके अलावा वह 32 देशों के 400 संस्थानों में भ्रमण कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मैं प्रत्येक छात्र द्वारा हर सप्ताह दस पेड़ लगाने की मुहिम चला रही हूं। इसके तहत करीब 3.50 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं। चाइल्ड मूवमेंट की संस्थापक लिसिप्रिया ने बताया कि उन्हें 2019 में वर्ल्ड चिल्ड्रन पीस प्राइज, राइजिंग स्टार ऑफ अर्थ डे, 2020 में ग्लोबल चाइल्ड प्रोडिगी अवार्ड, वॉटर हीरो सहित 20 से अधिक अवार्ड मिल चुके हैं।