High Court :  धारा 482 की अंतर्निहित शक्तियों के तहत तथ्य पर विचार नहीं कर सकती अदालत

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 30 Jun 2022 01:29 AM IST

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्य के मुद्दे पर धारा 482 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत विचार नहीं की जा सकती। प्रथम दृष्टया अपराध कारित होता हो तो कोर्ट चार्जशीट पर हस्तक्षेप नहीं कर सकती। कोर्ट ने केस कार्यवाही निरस्त करने की मांग अस्वीकार कर दी है। साथ ही कहा कि याची यदि 45 दिन में कोर्ट में समर्पण कर जमानत अर्जी दाखिल करता है तो अमरावती केस के निर्देशानुसार अर्जी निस्तारित की जाए। तब तक अदालत ने उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि याची समयावधि में समर्पण कर जमानत अर्जी नहीं दाखिल करता तो पुलिस उत्पीड़नात्मक कार्रवाई कर सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने लोहा मंडी आगरा के निरंकार चौधरी की याचिका पर दिया है। याची के खिलाफ  परक्त्रसम्य विलेख अधिनियम की धारा138 चेक अनादर के आरोप में अतिरिक्त कोर्ट आगरा के समक्ष इस्तगासा दायर किया गया है। इस पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने समन जारी किया है।

याचिका में मुकदमे की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी। कहा गया कि याची के खिलाफ  कोई अपराध नहीं बनता। केवल परेशान करने के लिए केस दायर किया गया है। अपने पक्ष में दस्तावेजी साक्ष्य दिखाए। कोर्ट ने कहा कि याचिका में इन दस्तावेजों का परीक्षण नहीं किया जा सकता। ये साक्ष्य हैं। कोर्ट ने पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजों का परिशीलन करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध कारित होना प्रतीत होता है, इसलिए हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्य के मुद्दे पर धारा 482 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत विचार नहीं की जा सकती। प्रथम दृष्टया अपराध कारित होता हो तो कोर्ट चार्जशीट पर हस्तक्षेप नहीं कर सकती। कोर्ट ने केस कार्यवाही निरस्त करने की मांग अस्वीकार कर दी है। साथ ही कहा कि याची यदि 45 दिन में कोर्ट में समर्पण कर जमानत अर्जी दाखिल करता है तो अमरावती केस के निर्देशानुसार अर्जी निस्तारित की जाए। तब तक अदालत ने उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि याची समयावधि में समर्पण कर जमानत अर्जी नहीं दाखिल करता तो पुलिस उत्पीड़नात्मक कार्रवाई कर सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने लोहा मंडी आगरा के निरंकार चौधरी की याचिका पर दिया है। याची के खिलाफ  परक्त्रसम्य विलेख अधिनियम की धारा138 चेक अनादर के आरोप में अतिरिक्त कोर्ट आगरा के समक्ष इस्तगासा दायर किया गया है। इस पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने समन जारी किया है।

याचिका में मुकदमे की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी। कहा गया कि याची के खिलाफ  कोई अपराध नहीं बनता। केवल परेशान करने के लिए केस दायर किया गया है। अपने पक्ष में दस्तावेजी साक्ष्य दिखाए। कोर्ट ने कहा कि याचिका में इन दस्तावेजों का परीक्षण नहीं किया जा सकता। ये साक्ष्य हैं। कोर्ट ने पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजों का परिशीलन करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध कारित होना प्रतीत होता है, इसलिए हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

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