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आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पालीवाल पार्क परिसर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान में संचालित एमए के पाठ्यक्रमों की फीस कम कर दी गई है। छात्र-छात्राओं को पहले की अपेक्षा प्रति सेमेस्टर 10 हजार रुपये कम फीस देनी होगी। प्रति सेमेस्टर 7.5 हजार रुपये फीस निर्धारित की गई है, जो कि पहले 17.5 हजार रुपये थी।
संस्थान में एमए लोक प्रशासन, एमए आपदा प्रबंधन और एमए ग्राम विकास पाठ्यक्रम संचालित हैं। संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिंह के मुताबिक रोजगारपरक पाठ्यक्रम होने के बाद भी सीटें भर नहीं पा रही थीं। फीस बहुत अधिक थी। एक वर्ष में 35 हजार रुपये फीस देने में विद्यार्थियों को कठिनाई हो रही थी। वर्ष 2019 में तीनों पाठ्यक्रम शुरू किए गए थे। प्रत्येक पाठ्यक्रम में 35-35 सीटें थीं, एक भी सत्र में किसी पाठ्यक्रम में पांच से अधिक छात्र-छात्राओं ने प्रवेश नहीं लिया।
खाली रह जाती थीं सीटें
डॉ. मनोज कुमार सिंह के मुताबिक एमए के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रति वर्ष 90 से अधिक आवेदन मिलते थे। कॉलेजों की अपेक्षा विश्वविद्यालय के संस्थान में फीस बहुत अधिक होने की वजह से छात्र-छात्राएं प्रवेश नहीं ले रहे थे, सीटें खाली रह रही थीं।
उन्होंने बताया कि पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल को फीस कम करने का प्रस्ताव दिया गया था। उन्होंने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी, मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया। इस बार एकेडमिक काउंसिल में पाठ्यक्रमों की फीस कम करने का प्रस्ताव रखा गया। मंजूरी मिलने के बाद वित्त समिति को दिया गया, वहां से भी स्वीकृति प्रदान कर दी गई।
पाठ्यक्रमों में 10-10 सीटें बढ़ा दी गईं
संस्थान के प्रभारी निदेशक ने बताया कि एमए लोक प्रशासन, एमए आपदा प्रबंधन और एमए ग्राम विकास पाठ्यक्रमों में 10-10 सीटें भी चालू सत्र में बढ़ा दी गई हैं। अब पाठ्यक्रमों में 45-45 सीटें हैं। चालू सत्र में नया पाठ्यक्रम एमए शिक्षाशास्त्र शुरू किया जा रहा है। इसमें भी 45 सीटें निर्धारित की गई हैं, फीस 7.5 हजार रुपये ही है। उनका कहना है कि फीस कम होने का फायदा मिलेगा। पाठ्यक्रमों में छात्र-छात्राओं का प्रवेश बढ़ेगा। सभी पाठ्यक्रम रोजगारपरक हैं।
विस्तार
आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पालीवाल पार्क परिसर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान में संचालित एमए के पाठ्यक्रमों की फीस कम कर दी गई है। छात्र-छात्राओं को पहले की अपेक्षा प्रति सेमेस्टर 10 हजार रुपये कम फीस देनी होगी। प्रति सेमेस्टर 7.5 हजार रुपये फीस निर्धारित की गई है, जो कि पहले 17.5 हजार रुपये थी।
संस्थान में एमए लोक प्रशासन, एमए आपदा प्रबंधन और एमए ग्राम विकास पाठ्यक्रम संचालित हैं। संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिंह के मुताबिक रोजगारपरक पाठ्यक्रम होने के बाद भी सीटें भर नहीं पा रही थीं। फीस बहुत अधिक थी। एक वर्ष में 35 हजार रुपये फीस देने में विद्यार्थियों को कठिनाई हो रही थी। वर्ष 2019 में तीनों पाठ्यक्रम शुरू किए गए थे। प्रत्येक पाठ्यक्रम में 35-35 सीटें थीं, एक भी सत्र में किसी पाठ्यक्रम में पांच से अधिक छात्र-छात्राओं ने प्रवेश नहीं लिया।
खाली रह जाती थीं सीटें
डॉ. मनोज कुमार सिंह के मुताबिक एमए के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रति वर्ष 90 से अधिक आवेदन मिलते थे। कॉलेजों की अपेक्षा विश्वविद्यालय के संस्थान में फीस बहुत अधिक होने की वजह से छात्र-छात्राएं प्रवेश नहीं ले रहे थे, सीटें खाली रह रही थीं।
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